घनश्याम डी रामावत
टीडीपी द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर शुक्रवार को देर रात तक चली लोकसभा की कार्यवाही सरकार के कार्यकलापों पर चर्चा से ज्यादा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के तेवर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दी गई झप्पी, आंख मारने, पीएम की मुस्कराहटों, फिसलती जुबानों, शेरो-शायरी और हंसी-ठहाकों के साथ-साथ रफाल सौदे पर राहुल के दावे को फ्रांस सरकार द्वारा खारिज किए जाने की वजह से खास तौर पर याद किया जाएगा। सही मायने में 20 जुलाई 2018 अर्थात शुक्रवार को चार साल दो माह पुरानी राजग सरकार के खिलाफ पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान लोकसभा 2019 चुनाव पूर्व बहस का मंच बन गई।
युवाओं के साथ अनुभव को तरजीह, कुल 51 सदस्य
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने एक-एक कर उन सारे मुद्दों पर प्रहार किया जिन्हें सदन के बाहर विपक्ष उठाता रहा हैं। माना जा रहा है कि संख्याबल न होने के बावजूद अविश्वास प्रस्ताव लाने का उद्देश्य विभिन्न मुद्दों पर चुनावपूर्व सरकार को सदन में घेरना था जिन पर सदन के बाहर पीएम नरेन्द्र मोदी सदन के बाहर जवाब देने से बचते रहे थे। सोची समझी रणनीति के तहत कांग्रेस सुप्रीमों राहुल गांधी व अन्य विपक्षी नेताओं ने ऐसा किया भी। यहीं नहीं, राहुल गांधी ने अपने भाषण के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास जाकर गले लगने की गांधीगिरी दिखाई और देशभर में चर्चा का केन्द्र बन गए। बहरहाल! यह तो तय हो गया कि राहुल गांधी अब लोकसभा चुनाव 2019 का मुकाबला मजबूती से करने के लिए तैयार है। उनके ताजातरीन तेवर तो कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे है। लंबे इंतजार के बाद ही सही आखिरकार उनके द्वारा अब 2019 लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए अपनी सेना भी तैयार कर ली गई है। दरअसल, राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारण संस्था कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) का पुनर्गठन किया है। राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के सात महीने बाद कांग्रेस कार्यसमिति का गठन किया है। पिछली कार्यसमिति को मार्च में अधिवेशन से पहले भंग कर दिया गया था। अधिवेशन में पार्टी सुप्रीमो राहुल गांधी को अपनी टीम चुनने के लिए अधिकृत किया गया। राहुल गांधी को समिति का गठन करने में चार महीने का समय लगा। राहुल गांधी की कांग्रेस वर्किंग कमेटी में कुल 51 सदस्य हैं। इनमें 23 सदस्य, 18 स्थायी सदस्य और 10 विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं।
महासचिव से हटाए गए किसी भी नेता को जगह नहीं
राहुल गांधी ने पहली बार कांग्रेस के मोर्चा संगठन मसलन यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई, महिला कांग्रेस, इंटक और सेवा दल के अध्यक्षों को सीडब्ल्यूसी में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी नई टीम में बड़ी संख्या में युवाओं को शामिल कर साफ संकेत दे दिए हैं कि आने वाले दिनों में कांग्रेस अपने इन्हीं नौजवानों के चेहरों के दम पर आगे बढ़ेगी। हालांकि कार्यसमिति में अनुभवी नेताओं को भी पूरी तवज्जो दी गई है। पार्टी के संगठन में विधानसभा चुनाव वाले तीन राज्यों-राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक महत्वपूर्ण नेताओं को खासकर शामिल किया गया है। हालांकि अनुभव को भी तरजीह दी गई है। राहुल की कार्यसमिति में सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, मोती लाल वोहरा, अहमद पटेल, अशोक गहलोत को सदस्य के तौर पर जगह मिली है। वहीं दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, पी. चिदम्बरम जैसे नेताओं को स्थायी आमंत्रित सदस्य के रूप में चुना गया। कार्यसमिति में पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, बिहार जैसे राज्यों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। महासचिव से हटाए गए किसी भी नेता को कार्यसमिति में भी जगह नहीं दी गई। इसी वजह से सी पी जोशी, मोहन प्रकाश, बी के हरिप्रसाद को कार्यसमिति से हटा दिया गया है। लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री लंबे समय से विशेष आमंत्रित सदस्य थे, पर इस बार वह भी जगह नहीं पा सके। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिन्दर सिंह को कार्यसमिति में जगह नहीं मिलना चकित करने वाला जरूर है। आमंत्रित सदस्यों को जोड़ लें तो भी महिलाओं की संख्या 51 में से केवल सात ही है। यानि 15 प्रतिशत से भी कम। हाल-फिलहाल दलित आंदोलन की परछाईं इस समिति के चयन में दिखी। दलित चेहरों के रूप में मल्लिकार्जुन खडग़े, कुमारी शैलजा और पीएल पुनिया को शामिल किया गया है। राजनीतिक समीक्षकों की माने तो राहुल गांधी और राजस्थान के कद्दावर नेता अशोक गहलोत के लगातार साथ काम करने का असर राहुल के तेवरों में अब नजर आने लगा है और अब उनमें राजनीतिक परिपक्वता दिखाई देने लगी है।
पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं में उत्साह
राहुल गांधी के नये अवतार व तेवरों से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी व उत्साह का माहौल है। हालांकि, राहुल गांधी की नई टीम की असली परीक्षा आने वाले विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनाव में होगी।
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