Saturday, 11 June 2016

डॉ. अमित सिंघल/पूर्व सीनियर वाइस प्रेसीडेंट-गूगल: परोपकारी कार्यों के लिए ‘गूगल’ को अलविदा(Dr. Amit Singhal/Former Vice President of Googel: Leave The 'Googel' For Philanthropic Purposes)

घनश्याम डी रामावत
गूगल के पूर्व सीनियर वाइस प्रेसीडेंट एवं देश के जाने माने चेरिटेबल ट्रस्ट ‘सिंघल फाउण्डेशन’ के संस्थापक डॉ. अमित सिंघल के अनुसार भारत में प्रतिभाशाली युवाओं की कमी नहीं हैं। डॉ. सिंघल की माने तो अनेक होनहार युवा महज इसलिए पिछड़ जाते हैं क्योंकि उन्हें समय पर उचित मार्गदर्शन, सही दिशा व सम्बल के साथ वांछित वातावरण नहीं मिलता। डॉ. सिंघल के अनुसार सही प्रतिभाओं की पहचान कर उन्हें उचित मार्गदर्शन व सहयोग से न केवल व्यक्तिगत रूप से उन्हें सशक्त बनाया जा सकता हैं अपितु देश भी इनके माध्यम से बहुत कुछ हासिल कर सकता हैं।

‘सिंघल फाउण्डेशन’ चेरिटेबल ट्रस्ट का गठन
उत्तर प्रदेश के झांसी में जन्मे डॉ. अमित सिंघल ने इसी साल 26 फरवरी को गूगल को अलविदा कहने के बाद ‘सिंघल फाउण्डेशन’ के रूप में एक चेरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया हैं। इसके तहत डॉ. सिंघल ने अपनी महत्वपूर्ण परियोजना ‘होप’ के माध्यम से सरकारी एवं अन्य निजी विद्यालयों में अध्ययनरत्त आर्थिक रूप से कमजोर और पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले बालक-बालिकाओं को नि:शुल्क विशिष्ट शिक्षा मुहैया कराने का बीड़ा उठाया हैं। डॉ. सिंघल द्वारा अपने इस नेक मिशन की शुरूआत 31 मई 2016 को जोधपुर से की गई हैं। फाउण्डेशन का लक्ष्य कक्षा छठीं और सातवीं के चयनित विद्यार्थियों को बेहतरीन शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा दिलाकर समर्थ बनाना हैं, ताकि वे दूसरे बालकोंं के समकक्ष बन सकें। डॉ. सिंघल के अनुसार प्रतिभाशाली इन विद्यार्थियों का श्रेष्ठ शैक्षणिक व चहुंमुखी विकास देश के लिए भी उपयोगी रहेगा और भारत निश्चित रूप से सर्वशक्तिमान बनेगा। डॉ. सिंघल के अनुसार भारत में अनन्य क्षमता हैं जो पूर्ण विकसित होने का इंतजार कर रही हैं एवं ‘सिंघल फाउण्डेशन’ द्वारा इसी विचार से ‘होप’ को जन्म दिया गया हैं। डॉ. सिंघल के अनुसार विशिष्ट शिक्षा के साथ अतिरिक्त प्रशिक्षण द्वारा विद्यार्थी आगे जाकर आईआईटी तथा दूसरी प्रमुख संस्थाओं की प्रवेश परीक्षा की प्रतिस्पर्धा का सामना पूरे आत्मविश्वास से कर सकेंगे। इससे देश व विदेश में रोजगार पाने के अवसर भी आसान होंगे।

विद्यार्थियों की शिक्षा का समस्त व्यय फाउण्डेशन द्वारा वहन
पिछले दिनों जोधपुर के यूरो स्कूल में फाउण्डेशन की परियोजना ‘होप’ के तहत प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के चयन हेतु आयोजित प्रवेश परीक्षा का जायजा लेने जोधपुर आए गूगल के पूर्व सीनियर वाइस प्रेसीडेंट डॉ. अमित सिंघल से मिलने का और ‘सिंघल फाउण्डेशन’चेरिटेबल ट्रस्ट के बारे में बात करने/जानने का मुझे मौका मिला। डॉ. सिंघल के अनुसार उनका उद्देश्य मौजूदा दौर के अल्प सुविधा वाले बालक-बालिकाओं को शिक्षित करके उन्हें इतना सामथ्र्यवान बनाना हैं ताकि वे अपने भविष्य की बागडोर सही तरीके से संभाल सके व जरूरत पडऩे पर देश के लिए भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा सकें। प्रतिभाशाली बालक-बालिकाओं के चयन के लिए फाउण्डेशन की ओर स त्रिस्तरीय परीक्षा के आयोजन की व्यवस्था की गई हैं। कक्षा 6 व 7 में एडमिशन के लिए 11 वर्ष से 13 वर्ष के बीच की उम्र का विद्यार्थी जो सरकारी शिक्षण संस्था में अध्ययनरत्त होनेे के साथ ही बीपीएल कार्ड धारक अन्य विद्यालयों में पढऩे वाले विद्यार्थी भी प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। चयन के लिए विद्यार्थियों को गणित, विज्ञान और अंग्रेजी की परीक्षा देनी होगी जबकि प्रश्र पत्र हिंदी तथा अंग्रेजी भाषाओं में होंगे। चयनित विद्यार्थियों का विभिन्न स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश मान्य होगा अर्थात इन विद्यार्थियों की शिक्षा का समस्त व्यय ‘सिंघल फाउण्डेशन’ द्वारा वहन किया जाएगा।

सेवा व दायित्वों के प्रति जज्बे का जवाब नही
गूगल सर्च इंजन के पुरोधा कहे जाने वाले डॉ. अमित सिंघल ने अपने द्वारा गठित चेरिटेबल ट्रस्ट ‘सिंघल फाउण्डेशन’ अर्थात परोपकारी मिशन की घोषणा गूगल को अलविदा कहने से पहले ही कर दी थी। सोशल नेटवर्किंग साइट गूगल प्लस के माध्यम से डॉ. सिंघल ने अपनी पोस्ट ‘द जर्नी कंटीन्यूज’ में लिखा था-‘गूगल में 15वां साल शुरू होने पर मैंने खुद से एक सवाल पूछा था कि तुम अगले 15 साल में क्या करना चाहोगे? जवाब था, दूसरों के लिए काम। जिंदगी में बदलाव का यह सही वक्त हैं..।’ 1989 में आईआईटी रूडक़ी से कंप्यूटर साइंस की डिग्री हासिल करने के बाद मिनेसोटा यूनिवर्सिटी से एमएस की पढ़ाई की और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री के रूप में श्रेष्ठतम तालीम हासिल करने वाले डॉ. सिंघल एक नेक दिल इंसान होने के साथ ही पूर्ण समर्पित इंसान हैं। सेवा व दायित्वों के प्रति इनके जज्बे का तो जवाब ही नहीं। वर्ष 2000 में गूगल से जुडक़र पन्द्रह वर्षों तक अपने जीवन के महत्वपूर्ण देने वाले सिंघल को उनके बेहतरीन कार्यों के लिए नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग और एशियन अवॉर्ड से नवाजा जा चुका हैं। शुरूआत में गूगल बाकी सर्च इंजन्स की तरह ही था लेकिन डॉ. सिंघल ने इसकी एलगोरिदम में कई अहम बदलाव किए। इसके बाद हुआ वो किसी से छुपा नहीं हैं, इन्होंने क्वालिटी रिजल्ट देने और स्पेल चेक जैसे फीचर्स लाकर गूगल का यूजर बेस बढ़ाया। डॉ. सिंघल के नेतृत्व में काम करने वाली इंजीनियरिंग टीम ने एडवर्टाइजिंग के लिए भी सर्च से जुड़े टूल्स डेवलप किए, इससे गूगल सर्च तेजी से प्रॉफिटेबल बिजनेस में तब्दील हो गया।

व्यक्तित्व असंख्य लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत/मार्गदर्शक
सरल, सहज व संजीदा व्यक्तित्व के धनी डॉ. अमित सिंघल अपने मिशन के प्रति कितने उदार व ईमानदार हैं, यह उस वक्त स्पष्ट हो गया जब आर्थिक रूप से कमजोर और पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले बालक-बालिकाओं के भविष्य निर्माण के लिए ‘सिंघल फाउण्डेशन’ द्वारा किए जा रहे अति-महत्वपूर्ण कार्य के संबंध में उनकी भूमिक/किरदार को लेकर पूछे जाने पर वे कहते हैं-‘मेरी जिंदगी सपनों के सफर की तरह रही हैं। एक छोटा बालक जो कभी हिमालय की गोद में बड़े होते हुए स्टार ट्रेक कम्प्यूटर के सपने देखा करता था। एक दिन अचानक अमेरिका पहुंच जाता हैं। वह भी दो सूटकेस के साथ और ज्यादा कुछ नहीं। बाद में उसे गूगल में सर्च के प्रमुख जैसी अहम जिम्मेदारी सौंप दी जाती हैं। मेरी जिंदगी में आए हर मोड़ ने मुझे एनरिच किया और मुझे एक बेहतर इंसान बनाया हैं। उनका मानना हैं जीवन में हर किसी की कोई न कोई प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष(अदृश्य) रूप से मदद करता ही हैं, ऐसे में वे स्वयं को भाग्यशाली मानते हैं कि वे इसमें निमित्त बन रहे हैं। वाकई शत-शत नमन हैं डॉ. सिंघल को। ‘गूगल’ जहां पहुंचना हर किसी का सपना होता हैं, परोपकारी कार्य के लिए इन्होंने अलविदा कह दिया। ऐसे में यह कहने में भी कोई अतिश्योक्ति नहीं कि, डॉ. अमित सिंघल अब महज एक नाम नहीं अपितु ‘अनूठा आयाम/असंख्य लोगों के प्रेरणाश्रोत/मार्गदर्शक’ हैं।

No comments:

Post a Comment