Wednesday, 25 May 2016

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: किसानों के हित में भारत सरकार की अभिनव पहल

घनश्याम डी रामावत
भारतीय अर्थव्यवस्था के कृषि प्रधान होने के कारण भारतीय सरकार ने समय-समय पर कृषि के विकास के लिये अनेक योजनाओं को शुरु किया, जिसमें से कुछ योजनाएं, जैसे-गहन कृषि विकास कार्यक्रम(1960-61), गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम(1964-65), हरित क्रान्ति(1966-67), सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम(1973) आदि। लेकिन इन सभी योजनाओं के बाद भी कृषि क्षेत्र की अनिश्चिताओं का समाधान नहीं हुआ, जिससे आज 21वीं सदी में भी किसान सुरक्षित नहीं  हैं। नरेन्द्र मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से भारत के हरेक क्षेत्र में विकास के प्रोत्साहन के लिये अनेक योजनाओं को शुरु किया  हैं, जिसमें किसानों की फसल के संबंध में अनिश्चितताओं को दूर करने के लिये भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट ने इस वर्ष की शुरूआत में 13 जनवरी को ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ को मंजूरी दे दी। ये योजना यकीनन 13 जनवरी को लोहड़ी के शुभ अवसर पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी की ओर से किसानों को दिया गया बेहतरीन तोहफा  हैं। सही मायने में किसानों के हित में इस भारत सरकार की अभिनव पहल कहा जाए तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं हैं। ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुयी हानि को किसानों के प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक कम करायेगी।

इस योजना को सही से समझने की आवश्यकता
‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ भारत के प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गयी योजना  हैं, जिसके शुरू करने के प्रस्ताव को 13 जनवरी 2016 को केन्द्रीय मत्रि-परिषद ने अपनी मंजूरी दी  हैं। इस योजना के लिये 8,800 करोड़ रूपये खर्च किए जाएंगे। ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ अन्तर्गत किसानों को बीमा कम्पनियों द्वारा निश्चित खरीफ की फसल के लिये 2 प्रतिशत प्रीमियम और रबी की फसल के लिये 1.5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करेगा। ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ पूरी तरह से किसानों के हित को ध्यान में रख कर बनायी गई हैं। इसमें प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हुई फसल के खिलाफ किसानों द्वारा भुगतान की जाने वाली बीमा की किस्तों को बहुत नीचा रखा गया  हैं, जिनका प्रत्येक स्तर का किसान आसानी से भुगतान कर सके। ये योजना न केवल खरीफ और रबी की फसलों को बल्कि वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए भी सुरक्षा प्रदान करती  हैं, वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिये किसानों को 5 प्रतिशत प्रीमियम(किस्त) का भुगतान करना होगा।

किसानों के हित में योजना के मुख्य तथ्य
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों के त्योहार लोहड़ी, मकर संक्रान्ति, पोंगल, बिहू के शुभ अवसर पर भारतीय किसानों के लिये उपहार है। किसानों के कल्याण के लिये इस फसल बीमा योजना में शामिल किये गये मुख्य तथ्य निम्नलिखित हैं-
1.प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की भुगतान की जाने वाली प्रीमियम(किस्तों) दरों को किसानों की सुविधा के लिये बहुत कम रखा गया है ताकि सभी स्तर के किसान आसानी से फसल बीमा का लाभ ले सकें।
2.इस योजना को आने वाले खरीफ फसलों के मौसम से शुरु किया जायेगा।
3.इसके अन्तर्गत सभी प्रकार की फसलों(रबी, खरीफ, वाणिज्यिक और बागवानी की फसलें) को शामिल किया गया है।
4.खरीफ(धान या चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, गन्ना आदि) की फसलों के लिये 2 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान किया जायेगा।
5.रबी(गेंहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों आदि) की फसल के लिये 1.5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान किया जायेगा।
6.वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों बीमा के लिये 5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान किया जायेगा।
7.सरकारी सब्सिडी पर कोई ऊपरी सीमा नहीं है। यदि बचा हुआ प्रीमियम 90 प्रतिशत होता  हैं तो ये सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
8.शेष प्रीमियम बीमा कम्पनियों को सरकार द्वारा दिया जायेगा। ये राज्य तथा केन्द्रीय सरकार में बराबर-बराबर बांटा जाएगा।
9.ये योजना राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना(एनएआईएस) और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना(एमएनएआईएस) का स्थान लेती  हैं।
10.इसकी प्रीमियम दर एनएआईएस और एमएनएआईएस दोनों योजनाओं से बहुत कम हैं साथ ही इन दोनों योजनाओं की तुलना में पूरी बीमा राशि को कवर करती हैं।
11.इससे पहले की योजनाओं में प्रीमियम दर को ढकने का प्रावधान था जिसके परिणामस्वरुप किसानों के लिये भुगतान के कम दावे पेश किये जाते थे। ये कैपिंग सरकारी सब्सिडी प्रीमियम के खर्च को सीमित करने के लिये थी, जिसे अब हटा दिया गया हैं और किसान को बिना किसी कमी के दावा की गयी राशि के खिलाफ पूरा दावा मिल जायेगा।
12.प्रधानमंत्री फसल योजना के अन्तर्गत तकनीकी का अनिवार्य प्रयोग किया जायेगा, जिससे किसान सिर्फ मोबाईल के माध्यम से अपनी फसल के नुकसान के बारें में तुरंत आंकलन कर सकता हैं।
13.ये योजना सभी प्रकार की फसलों के प्रीमियम को निर्धारित करते हुये सभी प्रकार की फसलों के लिये बीमा योजना को लागू करती हैं।
14.प्रधानमंत्री फसल योजना के अन्तर्गत आने वाले 3 सालों के अन्तर्गत सरकार द्वारा 8,800 करोड़ खर्च करने के साथ ही 50 प्रतिशत किसानों को कवर करने का लक्ष्य रखा गया हैं।
15.मनुष्य द्वारा निर्मित आपदाओं जैसे-आग लगना, चोरी होना, सेंध लगना आदि को इस योजना के अन्तर्गत शामिल नहीं किया जाता है।
16.प्रीमियम की दरों में एकरुपता लाने के लिये, भारत में सभी जिलों को समूहों में दीर्घकालीन आधार पर बांट दिया जायेगा।
17.ये नयी फसल बीमा योजना ‘एक राष्ट्र एक योजना’ विषय पर आधारित हैं। ये पुरानी योजनाओं की सभी अच्छाईयों को धारण करते हुये उन योजनाओं की कमियों और बुराईयों को दूर करता हैं।

भारतीय व्यवस्था विश्व में सबसे अनोखी अर्थव्यवस्था
पूरे विश्व में भारतीय व्यवस्था सबसे अनोखी अर्थव्यवस्था को धारण किए हुये हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था को कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था कहा जाता हैं क्योंकि भारत की लगभग 71 प्रतिशत जनसंख्या कृषि आधारित उद्योगो से अपना जीवन यापन करती हैं साथ ही पूरे विश्व में लगभग 1.5 प्रतिशत खाद्य उत्पादकों का निर्यात भी करताहैं। भारत दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश हैं जो सकल घरेलू उत्पादन का लगभग 14.2 प्रतिशत आय का भाग रखता हैं। इस तरह, ये स्पष्ट हो जाता हैं कि भारत की लगभग आधी से ज्यादा जनसंख्या और देश की कुल राष्ट्रीय आय का लगभग 14 प्रतिशत आय का भाग कृषि से प्राप्त होता है जिससे देश की अर्थव्यवस्था को एक मजबूत आधार मिलता हैं। अत: कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कही जाती हैं। भारत में कृषि की इतनी अधिक महत्ता के बाद भी भारतीय कृषि, प्रकृति की अनिश्चित कालीन दशा पर निर्भर हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से भारतीय सरकार ने देश के विकास के लिये औद्योगिकीकरण पर विशेष बल दिया जिसमें कहीं न कहीं कृषि पिछड़ गयी, हांलाकि कृषि के विकास के लिये भी भारत सरकार ने अनेक कार्यक्रम चलाये जिसमें हरित क्रान्ति(1966-67) किसानों की फसल के लिये सबसे बड़ी योजना थी, जिसने कृषि के क्षेत्र में एक नयी क्रान्ति को जन्म दिया और भारत में गिरती हुयी कृषि की अवस्था में सुधार किया। लेकिन सरकार द्वारा किये गये इतने प्रयासों के बाद भी भारतीय कृषि संरचना की स्वरूप में बदलाव नहीं हुआ। हांलाकि, भारत में कृषि के विकास से संबंधित अनेक योजनाएं अस्तित्व में हैं, किन्तु वो पूरी तरह से किसानों के कृषि संबंधित जोखिमों और अनिश्चिताओं को कम नहीं करती हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बहुत हद तक प्राकृतिक आपदाओं जैसे-सूखा, बाढ़, बारिश इत्यादि से किसानों को सुरक्षा प्रदान करती हैं। ये पुरानी योजनाओं में व्याप्त बुराईयों को दूर करके बीमा प्रदान करने वाले क्षेत्रों और बीमा के अन्तगर्त आने वाली सभी फसलों की सही-सही व्याख्या करती हैं।

किसानों की हितैषी इस योजना का महत्व और लाभ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ को केन्द्रीय मंत्रि-परिषद से पारित कराकर भारतीय किसानों के लिये बहुत बड़ी सौगात दी हैं। ये योजना अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण योजना हैं क्योंकि ये भारतीय अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार कृषि से जुड़ी हुई हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ऐसे समय में अस्तित्व में आई है जब भारत दीर्घकालीन ग्रामीण संकट का सामना कर रहा हैं, इसलिये इस योजना के कैबिनेट से पास हो जाने के तुरंत बाद से स्वत: ही इसका महत्व बढ़ जाता हैं। इसके अतिरिक्त इस योजना के कुछ प्रमुख महत्व और लाभ निम्नलिखित हैं-
1.प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की प्रीमियम की दर बहुत कम हैं जिससे किसान इसकी किस्तों का भुगतान आसानी से कर सकेंगे।
2.ये योजना सभी प्रकार की फसलों को बीमा क्षेत्र में शामिल करती हैं, जिससे सभी किसान किसी भी फसल के उत्पादन के समय अनिश्चिताओं से मुक्त होकर जोखिम वाली फसलों का भी उत्पादन करेंगे।
3.ये योजना किसानों को मनोवैज्ञानिक रुप से स्वस्थ्य बनायेगी।
4.इस योजना के क्रियान्वयन के साथ ही भविष्य में सकल घरेलू उत्पादकता को बढ़ायेगी।
5.इस योजना के क्रियान्वयन से किसानों में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा जिससे किसानों की कार्यक्षमता में सुधार होगा।
6.सूखे और बाढ़ के कारण आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या में कमी आयेगी।
7.स्मार्टफोन के माध्यम से कोई भी किसान आसानी से अपने नुकसान का अनुमान लगा सकता हैं।

No comments:

Post a Comment