जोधपुर स्थित ‘शनिश्चर थान’ भारतवर्ष में भगवान शनिदेव का अकेला एक ऐसा अनूठा मंदिर हैं, जहां सूर्यपुत्र शनिदेव की पूजा शत-प्रतिशत वैष्णव तरीके से की जाती हैं। करीब 200 वर्ष प्राचीन इस मंदिर में
शनिदेव वैष्णव व रामानन्दी तिलक धारण किए हुए हैं। मंदिर में भगवान शनिदेव की एक गर्भ मूर्ति तथा दूसरा स्वरूप श्याम वर्णी हैं। गर्भ मूर्ति(पिण्ड मूर्ति) का अभिषेक ईत्र, केसर व वर्क से होता हैं। ‘शनिश्चर थान’ स्थित शनि प्रतिमा की विशेषता हैं कि मूर्ति सौम्य स्वरूप हैं। सूर्यनगरी अर्थात जोधपुर शहर के मध्य ‘शनिश्चर थान’ के नाम से विख्यात भगवान शनिदेव का यह मन्दिर लाखों-करोड़ों या यूं कहे अनगिनत लोगों की श्रद्धा का केन्द्र हैं। शनिवार को तो यहां मेले सा माहौल रहता हैं। ‘शनिश्चर थान’ में अखण्ड ज्योति प्रज्जवलित हैं और यहां भगवान शनिदेव को उड़द से निर्मित इमरती मिठाई का भोग लगाया जाता हैं। शनिदेव की श्याम वर्णी प्रतिमा को मखाने, मावे तथा ऋतु पुष्प भी अर्पित किए जाते हैं।
यहां तेल नहीं चढ़ाया जाता/शनि जयंती पर उत्सव
‘शनिश्चर थान’ मंदिर में ज्येष्ठ मास में शनि जयंती उत्सव के रूप में मनाई जाती हैं। इसी प्रकार शनिश्चर अमावस्या को भी श्रद्धालु भगवान की खास पूजा अर्चना करते हैं तथा इस दिन भी यहां विशेष धार्मिक माहौल रहता हैं। शनि जयंती के दिन ‘शनि शांति हवन-अभिषेक’ में केवल औषधि, तेल, घी, पंचामृत, फलों का रस व ईत्र का प्रयोग होता हैं। शनि जयंती की रात्रि में भगवान शनिदेव की प्रतिमा कालाग्री त्रिकाल स्वरूप का श्रृंगार कर काले वस्त्र व काले खाद्यान्नों का भोग लगाया जाता हैं। यहां विशेष बात यह भी हैं कि मंदिर में प्रतिमा के समक्ष तेल नहीं चढ़ाया जाता हैं। आमतौर पर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शनिदेव की कोप दृष्टि से बचने के लिए तेल का दान किया जाता हैं किन्तु जोधपुर के इस अति-प्राचीन मंदिर में तेल, तिल, उड़द व लौह इत्यादि का दान नहीं लिया जाता हैं। यदि कोई श्रद्धालु जबरन चढ़ाता भी हैं तो उसे मंदिर प्रबंधन की ओर से गौशालाओं का भेंट कर दिया जाता हैं।
पूर्व में मंदिर श्मशान किनारे स्थापित था
जोधपुर का सबसे प्राचीन कहा जाने वाला ‘शनिश्चर थान’ मंदिर 200 वर्ष पूर्व श्मशान किनारे स्थापित था। मंदिर में वर्तमान पुजारी परमसुख वैष्णव पांचवी पीढ़ी हैं जो इस पावन धाम में सेवारत हैं। ‘शनिश्चर थान’ मंदिर का संचालन सुमेर मार्केट अनाज मंडी के व्यापारियों की ओर से निर्मित ‘शनिश्चर थान ट्रस्ट’ की ओर से किया जाता हैं। ट्रस्ट के वर्तमान अध्यक्ष दलपत डागा तथा सचिव पुखराज लोहिया हैं। व्यवस्थापक रामाराम पटेल के अनुसार मंदिर की बाउण्ड्री के बाहर वर्ष 1935 तक श्मशान था जो उम्मेद चिकित्सालय के निर्माण के बाद प्रतापनगर-सिवांची गेट मार्ग पर शिफ्ट कर दिया गया। मंदिर प्रांगण में विशाल कुआं भी हैं। ‘शनिश्चर थान’ मंदिर मुख्य गर्भ गृह के पासस राधा माधव, शिव परिवार, राम परिवार, जैन दादा गुरू एवं हनुमान जी का मंदिर भी हैं।
कभी किसान रात्रि विश्राम करते थे
करीब सात दशक पूर्व तक ‘शनिश्चर थान’ मंदिर में ग्रामीण अंचल से फसल बेचने हेतु आने वाले किसान रात्रि पड़ाव डालते थे। मंदिर के नजदीक सिवांची गेट प्रवेश का द्वार था जो शाम को बंद होने के बाद अगले दिन प्रात:काल ही खुलता था। किसान जोधपुर शहर में विलंब से पहुंचते थे, लिहाजा प्रवेश द्वार बंद होने की वजह से वे मंदिर प्रांगण के खुले परिसर में ही विश्राम करते थे।
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