Saturday, 21 May 2016

रानी जी का मंदिर: जन्माष्टमी पर होता हैं हिंडोला उत्सव

घनश्याम डी रामावत
जोधपुर महानगर में सरदारपुरा बी रोड़ स्थित रानीजी मंदिर का निर्माण महाराजा सुमेरसिंह की रानी उमराव कंवर ने संवत् 1988 में करवाया था। पुष्टीमार्गीय परम्परा से जुड़े 84 वर्ष पूर्व 1931 में निर्मित इस मंदिर में मुख्य मूर्ति भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की प्रतिष्ठित हैं।

संगमरमर से निर्मित मुख्य गर्भगृह प्रवेश द्वार में चांदी के पाट पर ठाकुर जी युगल स्वरूप में तथा लड्डू गोपाल रूप में विराजित हैं। रानी उमराव कंवर महाराजा के स्वर्गवास के बाद भगवान श्रीकृष्ण को ही अपना आरध्य मानकर सेवा पूजा करने लगी थी। रानी उमराव कंवर ने मंदिर के निर्माण के साथ एक कृष्ण कुज नोहरा तथा उसमें एक बेरे का निर्माण करवाया था। संवत् 1988 अर्थात 1931 के माघ सुदी दशमी बुधवार को महाराजा उम्मेदसिंह के सानिध्य में इस मंदिर में ठाकुर जी राधे-गोविन्द की मूर्ति की प्रतिष्ठा की गई। रानी उमराव कंवर ने वृंदावन में भी अपने आराध्य देव का मंदिर व घाट बनवाया और वहीं पर अपने आराध्य के ध्यान में मंदिर की सीढिय़ों पर अपने प्राण त्याग दिए थे। वर्तमान में मंदिर का संचालन व देखरेख मांजी चौहानजी साहिबां रिलिजियस ट्रस्ट की ओर से किया जाता हैं जिसके मुख्य ट्रस्टी पूर्व सांसद कृष्णाकुमारी, पूर्व सांसद गजसिह, हेमलता राज्ये व गायत्री देवी हैं। ट्रस्ट सचिव कल्याणसिंह राठौड़ के अनुसार मंदिर का प्रबंधन ठाकुर नटवरसिंह झालामंड देखते हैं।


जन्माष्टमी पर होता हैं हिंडोला उत्सव
रानीजी के मंदिर में प्रतिवर्ष जन्माष्टमी महोत्सव और प्रत्येक श्रावण मास में हिंडोला उत्सव मनाया जाता हैं। इसके अलावा रथ यात्रा भी आयोजित होती हैं। उत्सव के दौरान चांदी से निर्मित विशेष झूले में ठाकुर जी को विराजित किया जाता हैं। रानीजी मंदिर परिसर में भगवान श्रीकृष्ण की विविध लीलाओं से ताल्लुक रखते अनेक भित्ति चित्र मौजूद हैं। इनमें श्रीकृष्ण जन्म, गोचारण लीला, पालने में यशोदानंदन व सूरदास के साथ बालकृष्ण के चित्र प्रमुख हैं। मंदिर के मध्य भाग में एक फव्वारां भी हैं जिसे खास उत्सव अथवा मौकों पर आरम्भ किया जाता हैं। लाल घाटू के पत्थरों से निर्मित मंदिर के मध्य भाग की ऊंचाई करीब चालीस फीट हैं। मंदिर परिसर में ही जोधपुर के पूर्व शासकों के चित्र भी लगे हुए हैं। मंदिर में एक दीपक स्टेण्ड भी हैं जिस पर करीब 101 दीपक एक साथ प्रज्जवलित किए जा सकते हैं।

प्रात:काल 6.30 बजे मंगला आरती
रानीजी मंदिर के वर्तमान पुजारी नरपतलाल व्यास के अनुसार मंदिर में प्रात:काल 6 बजकर तीस मिनट पर मंगला आरती, सायंकाल सात बजे संध्या तथा रात्रि आठ बजे शयन आरती का आयोजन होता हैं।

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