Monday, 21 August 2017

सुख, शांति और समृद्धि की स्वामिनी ‘नारी’

घनश्याम डी रामावत
सामाजिक ताने बाने में समाज व परिवार की सार्थकता सुख, शांति व समृद्धि से ही तय होती हैं अर्थात जहां इन चीजों का वास हैं वहां सब कुछ आनन्दमय होना तय हैं। लेकिन यह सब कुछ आसानी से नहीं हो सकता, परिवार के मुखिया के साथ प्रत्येक सदस्य को इसके लिए अपने-अपने हिसाब से दायित्व का निर्वहन करना पड़ता हैं। खासतौर से गृहिणी अर्थात परिवार की स्वामिनी की इन सभी चीजों को सुनिश्चित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। आम धारणा जो सदियों से चली आ रही हैं, इंसान को बनाने और बर्बाद करने में नारी का हाथ होता हैं/नारी चाहें तो किसी को बर्बाद कर सकती है और वो चाहें तो आबाद। भारतीय संस्कृति व पौराणिक नजरिए से नारी को घर की लक्ष्मी माना जाता हैं। इस दृष्टि से नारी के लिए उसका घर स्वर्ग के समान हैं। शास्त्रों में स्पष्ट रूप से उद्धत किया हुआ हैं कि जहां जहां नारियों की पूजा होती हैं वहां देवताओं का वास होता हैं। लेकिन सुख शांति और समृद्धि केवल नारी के सद्विचारों मात्र से ही संभव नहीं उसे अनेक अन्य कारकों का भी ध्यान रखना होता हैं जिसमें सबसे प्रमुुख हैं ‘वास्तु’।

वास्तु के लिहाज से ‘नारी’ घर की ऊर्जा का मूल स्त्रोत
‘वास्तु’ के लिहाज से भी नारी को घर की ऊर्जा का मूल स्त्रोत माना गया हैं। नारी अपने मौजूदा दौर की अति व्यस्ततम जीवन शैली के बीच एक गृहिणी के रूप में निभाए जाने वाले दायित्व निर्वहन की दृष्टि से अगर अपने स्वभाव और कुछ वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करें तो घर में सुख शांति और समृद्धि की वर्षा होना तय हैं। हर आम घर/परिवार मेंं सुख शांति और समृद्धि किस प्रकार से सुनिश्चित हो, जोधपुर की जानी मानी युवा रैकी हीलर व वास्तु पिरामिड विशेषज्ञ अर्चना प्रजापति से बातचीत के बाद जो खास चीजे/उपाय निकलकर सामने आए हैं/मैं आज इस आलेख के माध्यम से आप सभी के साथ साझा कर रहा हूं। प्रजापति की माने तो घर की महिलाएं इन उपायों को अपनाकर अपने घर में सुख शांति और समृद्धि ला सकती हैं। वास्तु की दृष्टि से घर की स्वच्छता का ख़ास ख्याल रखना चाहिए इससे पर्स हमेशा नोटों से भरा रहेगा। वैसे तो सभी अपने घरों को साफ रखना पसंद करते हैं, लेकिन कभी-कभी एक खास अभियान के तहत इसे लेना चाहिए। घर की स्वच्छता, घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रमुख स्रोत माना गया हैं। स्वच्छता से घर कीटाणुओं रहित तो होगा ही, चमकदार नजर आने के साथ खुशहाल/सुकूनभरा भी प्रतीत होगा। 

वास्तु नियमों की पालना से श्रेष्ठ परिणाम संभव
वास्तु के लिहाज से सफाई करने के तुरंत बाद स्नान करना चाहिए, समृद्धि का वास होना तय हैं। आम तौर पर नहाना-धोना तो सभी करते हैं, क्योकि स्नान करने से तन और मन स्वच्छ हो जाते है और दिनभर ताजा महसूस होता हैं। लेकिन ज्यादातर महिलाएं अक्सर घर की सफाई करने से पहले स्नान करना पसंद करती हैं जो कि गलत हैं। वास्तु के अनुसार महिलाओं को सफाई करने के तुरंत बाद नहाना चाहिए। ऐसी मान्यता हैं कि इससे नया काम करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा शरीर में आ जाती हैं।  खाना बनाने से पहले नहाना चाहिए। अगर जीवन में दुर्घटना सहित आर्थिक परेशानियों का सामना लगातार तरीके से करना पड़ रहा हैं तो ये अद्भुत/आसान उपाय अवश्य करें। शरीर को सबसे ज्यादा एनर्जी भोजन से ही मिलती हैं और वास्तु की भी ऐसी ही मान्यता हैं। वास्तु के अनुसार ये अत्यंत आवश्यक हैं कि खाना बनाने से पहले अवश्य नहाना चाहिए। नहाने के बाद खाना बनाने पर खाना ज़्यादा स्वास्थ्यवर्धक और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर हो जाता हैं और यह खाना परिवार के लिए ज्यादा पोषक भरा रहेगा। खाने से पहले भोग अवश्य लगाना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं की ही तरह वास्तु की भी यही मान्यता हैं कि खाना खाने से पहले पहला भोजन भगवान, गाय और कुत्ते को कराना चाहिए, इससे घर में समृद्धि और खुशहाली बनी रहती हैं। महिलाएं किसी पार्टी या शादी में जाने से पहले सज-धज कर जाना पसंद करती है और वैसे भी पार्टी और शादियां या फिर कोई भी कार्यक्रम हमेशा शाम को या रात को ही होते हैं, ऐसे में महिलाएं सबसे ज्यादा अपने बालों पर ध्यान देती है। जबकि, वास्तु के अनुसार सूर्यास्त के बाद स्त्रियों का कंघा करना सही नही माना जाता है। शाम के समय कंघा करने से देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं। 

नारी शक्ति का स्वस्थ व प्रसन्न रहना जरूरी
घर की शांति के लिए सबसे ज्यादा जरूरी माना जाता हैं कि घर/परिवार का प्रत्येक सदस्य शांत और खुश मिजाज रहे। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी हैं घर की लक्ष्मी अर्थात महिलाओं का शांत और खुश रहना श्रेष्ठकर/आवश्यक माना गया हैं। गुस्सा करना और चिड़चिड़ाना घर में नकारात्मक ऊर्जा भर देता हैं। पानी के किसी भी स्त्रोत का दक्षिण पश्चिमी हिस्सों में नही होना चाहिए क्योकि वास्तुशास्त्र के अनुसार दक्षिण पश्चिमी कोने में पानी का स्त्रोत होने से धनहानि की संभावना बढ़ जाती हैं। पानी का स्त्रोत उत्तर-पूर्वी कोने में होने अच्छा माना गया हैं। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पानी का स्त्रोत हमेशा उत्तर-पूर्वी कोने में ही हो। घर की तिजोरी का दरवाजा उत्तर दिशा में खुलना चाहिए। तिजोरी में कुबेर देवता की फोटो रखने से धन लाभ होता हैं। इसके साथ ही ध्यान जाना चाहिए कि तिजोरी तेज रोशनी के ठीक सामने न हो। तिजोरी के सामने एक दर्पण लगाने से धन में दो गुना ज़्यादा वृद्धि होगी ऐसी वास्तु की मान्यता हैं। महिलाओं को घर के उत्तर-पूर्वी भाग का ख़ास ख्याल रखना चाहिए। ऐसा करके यदि वे अपना घर खरीदने का सपना पूरा नहीं कर पा रही हैं तो वे इसे जल्द कर सकती हैं। गृहिणी चूंकि परिवार को संभालती हैं उसके लिए परिवार का सदस्य और अपना घर दोनों ही काफी महत्वपूर्ण होते हैं और वह दोनों का ख्याल रखती हैं। घर का उत्तर-पूर्वी इलाका वास्तु के अनुसार बहुत पवित्र हैं। इस स्थान को हमेशा साफ़-सुथरा और रोशनी युक्त रखना चाहिए, इस क्षेत्र में सीढिय़ों का निर्माण कतई न करें। घर के बीच का हिस्सा घर के बीच का हिस्सा बहुत पवित्र होता हैं। यहां पर सिर्फ मंदिर बनवा सकते हैं, अगर ऐसा संभव न हो पाता हैं तो इसे सिर्फ स्वच्छ रखा जाना चाहिए। 

घर के बीच के हिस्से में एक ऊंचाई का स्थान बनवाकर तुलसी का पौधा भी रखा जा सकता हैं। इन सभी उपायों को परिवार की समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना गया हैं। नारी इन उपायों को जीवन में आत्मसात करते हुए व्यवहारिक तरीके से परिणीत कर परिवार की सुख शांति और समृद्धि में अपनी भूमिका का सार्थक/सुदृढ तरीके से निर्वहन कर श्रेष्ठकर परिणाम प्राप्त कर सकती हैं।

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