Tuesday, 12 December 2017

गुजरात चुनाव 2017 : युवाओं की अपनी सोच

घनश्याम डी रामावत
देश में अब तक अनेक विधानसभा चुनाव हुए हैं और सरकारे अस्तित्व में आती जाती रही हैं किन्तु इस बार हो रहे गुजरात विधानसभा सभी अपने आप में खास हैं । गुजरात में हो रहे चुनाव पर देश ही नहीं विदेश तक की नजर हैं। प्रधानमंत्री द्वारा अभी दो दिन पूर्व एक चुनावी रैली में पाकिस्तान के नाम का जिक्र करने के बाद इस चुनाव की टीआरपी और भी बढ़ गई हैं अर्थात यहां की चुनावी गर्मी अपने चरम पर हैं। बीजेपी की ओर से स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अनेक रैलियां कर चुके हैं सही-सही कहे तो इस चुनाव में भाजपा की जीत पीएम की प्रतिष्ठा का सवाल होकर रह गई हैंं। उधर, निर्विरोध चुने गए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ जीत का परचम लहराने हेतु पूरी ताकत झौंक दी हैं। राहुल गांधी गुजरात के करीब 2 दर्जन धार्मिक स्थलों में अब तक मत्था टेक चुके हैं। उनकी मंदिर यात्राएं खास तौर से इस बार चर्चा में हैं। अत्यधिक रस्सा कस्सी वाले इस बार के चुनाव में विभिन्न सर्वेक्षणों से कांगे्रस का उत्साह बढ़ा हैं और कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता अपने पाले में आती नजर आने लगी हैं यही कारण हैं कि वह कोई कसर चुनाव प्रचार मामले में छोडऩा नहीं चाहती। 

कांग्रेस से राहुल और बीजेपी से मोदी स्टार प्रचारक
राहुल गांधी अपने रणनीतिकार राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री व गुजरात चुनाव के प्रभारी अशोक गहलोत के साथ मतदाताओं से संपर्क साध रहे हैं। गुजरात में पिछले 22 वर्षों से सत्तारूढ़ भाजपा अपने स्टार प्रचारक पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में पुन: जीत को आश्वस्त हैं। वह चाहती हैं कि पार्टी हर हाल में सत्ता में पुन: आए और उनका सफर 22 वर्षो से आगे बढ़ता हुआ निरन्तरता बरकरार रखें। इस समय जबकि मैं यह ब्लॉग लिख रहा हूं, गुजरात में चुनाव प्रचार का अंतिम दिन हैं। पीएम मोदी सीप्लेन से अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट से रवाना होकर अंबाजी मंदिर पहुंचे हैं। भारत में सीप्लेन की यह पहली उड़ान हैं तथा मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने इस प्लेन में उड़ान भरी हैं। राजनीतिक समीक्षक मोदी की सीप्लेन उड़ान को एक खास तरीके का पाटी प्रचार मान रहें हैं। कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी भी जगन्नाथ मंदिर पहुंचे हैं। भगवान जगन्नाथ के दर्शन पश्चात् वे 14 दिसम्बर को होने वाली विधानसभा सीटों से संबंद्ध मतदाताओं से रूबरू होंगे। ज्ञातव्य रहें, राहुल गांधी जगन्नाथ मंदिर के अलावा अब तक श्री रणछोडज़ी मंदिर, मोगलधाम-बावला मंदिर, द्वारकाधीश, कागवड में खोडलधाम, नाडियाड के संतराम मंदिर, पावागढ़ महाकाली, नवसारी में ऊनाई मां के मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, बहुचराजी के मंदिर, कबीर मंदिर, चोटिला देवी मंदिर, दासी जीवन मंदिर, राजकोट के जलाराम मंदिर, वलसाड के कृष्णा मंदिर, शंंकेश्वर जैन मंदिर, वीर मेघमाया, बादीनाथ मंदिर और सोमनाथ मंदिर के दर्शन कर चुके हैं। 

मेहसाणा में कई लोगों से मिला, मिली जुली प्रतिक्रिया
गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 सही अर्थों में मेरे लिए भी खास हैं चूंकि बतौर जर्नलिस्ट पहली बार मुझे गुजरात चुनाव से संबधित दायित्व संभालने का अवसर प्राप्त हुआ। अपने खास टास्क के तहत 10 दिसम्बर को मेहसाणा पहुंचा जहां मैं 11 दिसम्बर देर शाम तक रहा। इस दौरान मुझे अनेक लोगों से, कांग्रेस व बीजेपी दोनों ही प्रमुख दलों के छोटे-बड़े प्रमुख कार्यकर्ताओं से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ। मेहसाणा विधानसभा क्षेत्र को नजदीक से देखा, जाना व उसकी मौजूदा राजनीतिक तस्वीर को सही से महसूस करते हुए सही आंकलन का प्रयास किया। अनेक मतदाताओं के साथ खास तौर से युवाओं ने अपनी बात खुलकर रखी। पाटीदार आंदोलन का केंद्र मेहसाणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहनगर वडऩगर से 35 किमी दूर हैं। मेहसाणा से वडऩगर जा रही गुजरात राज्य परिवहन निगम की बस में बड़ी संख्या में छात्र सवार थे जिनमें से ज्यादातर मेहसाणा कॉलेज में बीएससी के छात्र थे और गुजरात विधानसभा चुनाव के 14 दिसंबर को होने वाले दूसरे चरण के मतदान में अपना पहला मत डालेंगे। मेहसाणा और वडऩगर मेहसाणा जिले में आते हैं। वडऩगर उन्झा निर्वाचन क्षेत्र में आता हैं जबकि मेहसाणा शहर एक अलग निर्वाचन क्षेत्र हैं। इन 12 लाख नए मतदाताओं के जेहन में राजनीति के अलावा भी कई मुद्दे हैं। इन्हीं में शामिल हैं आशीष पटेल और जशवंत सिंह। दोनों करीबी दोस्त हैं लेकिन उनके राजनीतिक विचार एकदम अलग-अलग हैं। 

आशीष पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के प्रमुख हार्दिक पटेल के कट्टर समर्थक हैं जबकि जशवंत का रुझान भाजपा की ओर हैं। आशीष का कहना था कि यह मानना गलत हैं कि पटेल समुदाय के सभी लोग अमीर होते हैं। हममें से किसी के पास सरकारी नौकरी नहीं है। जमीन इतनी ज्यादा नहीं हैं कि पूरे परिवार का पेट भर सके। इसलिए हमें आरक्षण की जरूरत हैं।

पटेल वोट इफेक्ट के साथ युवाओं की अपनी सोच
मतदाताओं में पटेल 12 फीसदी हैं।उनमें से उपजाति हैं कड़वा और लेउवा। हार्दिक और आशीष कड़वा उपजाति से हैं जिनकी संख्या कम हैं। विश्लेषकों का मानना हैं कि राज्य में 182 सीटों में से करीब 60 सीटों के नतीजों को वे प्रभावित कर सकते हैं। संख्या बल के मामले में लेउवा अधिक हैं। पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल इसी उपजाति से आती हैं। जशवंत का मानना हैं कि भाजपा पांचवी बार जोरदार जीत दर्ज करेगी। इस बस में सवार अन्य छात्र निखिल चौधरी, विनोद चौधरी, विकास चौधरी और अविनाश देसाई सभी ओबीसी वर्ग से हैं। इसमें से एक विनोद ने कहा कि वडऩगर का रिश्ता मोदी से हैं, मोदी खुद भी ओबीसी हैं। कोई भी अन्य पार्टी वहां उपस्थिति दर्ज नहीं करवाए पाएगी। हमारे आसपास विकास हो रहा है। इन चुनावों के जरिए भाजपा जहां पांचवी बार सत्ता के गलियारों में वापसी की उम्मीद लगाए है, वहीं कांग्रेस इस चुनाव को अपना खोया आधार वापस पाने के मौके के तौर पर देख रही हैं। पहली बार मतदान करने जा रहे युवाओं के लिए विकास और नौकरियां का मुद्दा महत्वपूर्ण हैं। एक अन्य छात्र हितेश सोलंकी मानते हैं कि राहुल गांधी को एक मौका दिया जाना चाहिए। 

कांग्रेस आंशिक मजबूत, भाजपाई इतेफाक नहीं रखते
मेरी स्वयं की दोनों प्रमुख पार्टी कार्यकर्ताओं के अलावा करीब 78 लोगों से बात हुई। मिली जुली जो राय मिली उससे कही न कही सर्वेक्षण सही प्रतीत होते दिखाई पड़ रहे हैं। ज्यादातर लोग परिर्वतन के मूड में ही दिखाई पड़ रहे हैं। हालांकि मेरे द्वारा इस बात का जिक्र वरिष्ठ भाजपा नेता जितेन्द्र एन चौधरी, रमेशचंद्र वी पटेल, विजय भाई तथा पोपट भाई चौधरी(मानव आश्रम चौकड़ी के निकट एक बूथ पर) से करने पर उन्होंने कांगे्रस के पक्ष में दिखाई पड़ रहीं आंशिक बढ़त को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मेहसाणा में पाटीदारों की कोई नाराजगी नहीं हैं तथा मोदी जी यहां जीत का ब्रांड हैं, उनके अनुसार जीत बीजेपी की ही होगी। यहां से बीजेपी की ओर से नितीन भाई पटेल और कांग्रेस के जीवा भाई पटेल के बीच मुख्य मुकाबला हैं। बहरहाल, गुजरात में पहले चरण का मतदान 9 दिसंबर को हो चुका हैं, दूसरे चरण का 14 दिसंबर को होना हैं। परिणाम 18 दिसंबर को आएंगे।

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