Monday, 26 February 2018

गीता धाम : धर्म व कर्म की अनूठी कर्मस्थली

घनश्याम डी रामावत
भारत में स्थापित द्वारका, बद्रीनाथ, पुरी और रामेश्वरम धाम से हर कोई वाकिफ हैं। इन सभी धार्मिक स्थलों/पावन धामों की तर्ज पर स्वामी श्री हरिहर महाराज ने वर्ष 1995 में जोधपुर से 35 किमी दूर तिंवरी में ‘गीता धाम’ की स्थापना की। धर्म और आध्यात्म में भरोसा रखने वाले लोग जहां इसे स्वामी श्री हरिहर महाराज की मौजूदा दौर की सबसे बड़ी तपस्या के तौर पर देखते हैं, वहीं यह पावन धाम धर्म व कर्म की अनूठी/आदर्श कर्मस्थली के रूप में पहचान रखता हैं।

गीताधाम तिंवरी में 27 फरवरी से 2 मार्च तक चार दिवसीय 31वां अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन एवं गुरू हरिहर महाराज का 120 वां जन्मोत्सव का आयोजन किया जा रहा हैं। धार्मिक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे गीता धाम के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमण कुमार टोगनाटा से मुलाकात के दौरान ‘गीता धाम’  व इसके माध्यम से संचालित विभिन्न गतिविधियों के बारे में काफी कुछ जानने व समझने को मिला। रमण कुमार जी के अनुसार गुरूदेव स्वामी हरिहर महाराज ने जाति, पंथ, रंग और धर्म के ऊपर उठकर महज मानवता व गीता की दिव्य शिक्षाओं के समग्र प्रचार व प्रसार के लिए आध्यात्मिक दिव्यता के प्रतीक स्वरूप तिंवरी में ‘गीता धाम’ की परिकल्पना की, जिसे वर्ष 1995 में भामाशाह मांगीलाल गांधी व चुन्नीलाल बाहेती ने 95 एकड़ भूमि गुरूदेव को दान कर इस परिकल्पना का साकार रूप प्रदान किया। उन्होंने बताया कि ‘गीता धाम’ का उद्देश्य गीता के समग्र प्रचार व प्रसार के साथ इसके संदशों को सर्वत्र प्रचारित करते हुए लोगों को इन्हें आत्मसात करने हेतु प्रेरित करना हैं। उनके अनुसार गीता मुक्ति का सशक्त माध्यम हैं, जिसेे हर किसी को समझने की आवश्यकता हैं। 

आध्यात्मिकता व सामाजिक सरोकारों का अद्भुत मिश्रण
गीता धाम के राष्ट्रीय अध्यक्ष टोगनाटा ने कहा कि ‘गीता धाम’ आध्यात्मिकता व सामाजिक सरोकारों का अद्भुत मिश्रण हैं। धाम अनवरत रूप से गुरूदेव स्वामी हरिहर महाराज की मंशानुरूप मानव मात्र में गीता की दिव्य शिक्षाओं का प्रचार करते हुए आध्यात्मिक दिव्यता के रूप में कार्य कार्य कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि ‘गीता धाम’ की स्थापना के साथ ही एक महत्वाकांक्षी खाका तैयार किया गया था, जिसके तहत अनेक परियोजनाओं को शामिल किया गया। सर्वप्रथम धाम में गुरूकुल विद्या मंदिर की स्थापना, जिससे बालकों को अव्वल दर्जे की शिक्षा के साथ उत्तम संस्कार प्राप्त हो सके। द्वितीय प्राथमिकता के तौर गौशाला की स्थापना। टोगनाटा के अनुसार इन दोनों ही प्राथमिकताओं पर ‘गीता धाम’ शत-प्रतिशत सफल रहा हैं। उन्होंने कहा कि ‘गीता धाम’ तिंवरी स्थित ‘गीता धाम गुरूकुल उच्च माध्यमिक विद्या मंदिर’ में इस समय करीब 600 विद्यार्थी अध्ययनरत्त हैं। आरबीएससी अंतर्गत संचालित विद्या मंदिर में बालकों को निर्धारित शिक्षा के साथ अंग्रेजी व गीता के अध्ययन भी खास ध्यान दिया जाता हैं। प्राथमिक तक की शिक्षा धाम मेें नि:शुल्क दी जाती हैं। यहां छात्रावास की व्यवस्था भी हैं जिसमें इस समय 140 विद्यार्थी रह रहे हैं।

‘गीता धाम’ गौशाला में इस समय 427 गायें
टोगनाटा के अनुसार ‘गीता धाम’ गौशाला में इस समय 427 गायें हैं। सभी गायें उत्तम नस्ल की हैं जिनका खास ख्याल ‘गीता धाम ट्रस्ट’ द्वारा नियुक्त कर्मचारियों द्वारा रखा जाता हैं। ‘गीता धाम’ में गीता के दर्शन के विभिन्न पहलुओं का विशेष ख्याल रखा जाता हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में गुरूदेव के ब्रह्मलीन होने के बावजूद विकास की प्रगति को कभी भी ‘गीता धाम ट्रस्ट’ की ओर से मंद नहीं होने दिया। गुरूदेव की अनेक परियोजनाएं उनके जीवनकाल में ही पूरी हो गईं, वहीं कई परियोजनाओं ने काम करना शुरू कर दिया था जो आज कामयाबी के बाद अपने उत्कर्ष पर हैं। विद्या मंदिर व गौशाला के अलावा ‘गीता धाम’ पर इस समय गोबर-गैस प्लांट्स और पौधशाला, सौर ऊर्जा प्लांट्स, मेडिकल प्लांट प्रोजेक्ट, बाल-गोपाल परियोजना व चिकित्सा सेवाएं जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं संचालित हैं। गौशाला से उत्पादित गोबर, खाद व अपशिष्टों का उचित उपयोग किया जाता हैं। उन्होंने बताया कि ‘गीता धाम’ पर स्थापित सभी गोबर गैस संयंत्र अच्छे से कार्य कर रहे हैं। गोबर गैस ने रसोई की आवश्यकता तो पूरी होती ही हैं, अतिरिक्त गैस कंटेनरों में जमा की जाती हैं। 

सामाजिक दायित्व निर्वहन में भी सदैव अग्रणी
उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा प्लांट्स परियोजना के तहत अभी तक तीन इकाइयां ‘गीता धाम’ में काम कर रही हैं। एक के लिए सी और डी ब्लॉकों में एक, डाइनिंग हॉल के लिए एक और प्राग्य भवन के लिए दूसरा। हाल ही में विद्या मंदिर छात्रावास के लिए एक और ऐसी इकाई स्थापित की गई हैं। ये सभी कुशलतापूर्वक काम कर रहे हैं। टोगनाटा ने बताया कि चिकित्सा सेवा परियोजना के तहत ‘तिंवरी गीता धाम’ के आस-पास के गांवों में शिविर आयोजित किए जाने के साथ ही जरूरतमंद रोगियों को समय-समय पर ‘गीता धाम चिकित्सा स्टाफ’ द्वारा नि:शुल्क चिकित्सा सेवा प्रदान की जाती हैं। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट का प्रयास रहेगा कि शीघ्र ही यहां एक उचित प्राथमिक चिकित्सा केंद्र स्थापित हो ताकि क्षेत्र के  लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकें। 19 अप्रैल 2010 को शुरू की गई बाल-गोपाल परियोजना अंतर्गत ‘गीता धाम’ चिकित्सा कर्मचारियों द्वारा आसपास के ग्रामीण इलाकों में छ: माह से 2 वर्ष तक के बालक-बालिकाओं को उत्तम सेहत के लिए न्यूट्रेशन्स/पोषक आहार की आपूूर्ति की जाती हैं। ‘गीता धाम’ इस तरह से धर्म व आध्यात्म के साथ सामाजिक दायित्व निर्वहन में भी सदैव अग्रणी रहता हैं। वर्तमान में यह परियोजना नजदीकी विभिन्न गांवों में चल रही हैं। ‘गीता धाम’ परिसर में तैयार पौधों और जड़ी-बूटियों की औषधीय व्यवहार्यता पर काम करने के लिए शुरू हुई मेडिकल प्लांट प्रोजेक्ट परियोजना भी संचालित हैं। 

गीता भारतीय दर्शन का सार ग्रंथ
‘गीता धाम’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमण कुमार टोगनाटा के अनुसार गुरूदेव स्वामी हरिहर महाराज का मूल संदेश रहा गीता में कही बातों को आत्मसात करते हुए धर्म, जाति, रंग-भेद से ऊपर उठकर मानव का मानव से प्रेम। ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।’ के सिद्धांत पर चलते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन करने वाले टोगनाटा की मान्यता हैं कि गीता भारतीय दर्शन का सार ग्रंथ हैं। गीता ज्ञान-गीत हैं। गीता अत्यंत सरल और सरस श्लोकों में आध्यात्मिक चिंतन के साथ-साथ लोक-व्यवहार के निर्देश प्रस्तुत करने वाली एक ऐसी लघु पुस्तिका हैं, जो तनाव रहित जीवन जीने की कला सिखाती हैं। जीवन-मृत्यु के चक्र का स्पष्टीकरण देती हैं, ईश्वर के प्रति अपने-अपने तरीके से निष्ठा रखने का मंत्र देती हैं तथा प्रतीक रूप में यह समझा देती हैं कि इस संपूर्ण विश्व की सृष्टि और संचालन के पीछे क्या विज्ञान हैं एवं इस समष्टि में हमारी व्यक्तिगत हैसियत क्या हैं।

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