घनश्याम डी रामावत
प्राचीन विद्याओं की जननी कही जाने वाली भारत भूमि में ज्योतिष का उद्भव व विकास आज से कई हजारों वर्ष पूर्व ही हो चुका था। कई भारतीय मानक ग्रंथों में इसकी पुष्टि होती हैं कि भारतवर्ष ने सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के खातिर ज्योतिष के अद्वितीय ज्ञान को विकसित किया। यद्यपि समय चक्र ने इसे अपने थपेड़ों से चोटिल करने का भरपूर प्रयास किया, किन्तु इसकी उपयोगिता इतनी प्रखर हैं कि आज भी यह अपने पुराने रूप में स्थिति हैं और धरा पर होने वाले कई घटना चक्रों की जानकारी देता हैं। साथ ही मानव जीवन में घटने वाली घटनाएं सुख-दु:ख की बड़ी सटीक जानकारी देकर उन्हें आने वाले दु:खद समय से बचाने का भरपूर प्रयास भी करता हैं।
हजारों वर्ष पूर्व ही हो गया था ज्योतिष का उद्भव
ज्योतिष शास्त्र के द्वारा न केवल ब्राह्माण्ड में घटने वाली घटनाओं का सटीक पता चल सकता हैं अपितु व्यक्ति के जीवन में कब कहां कैसी घटना घटित होने वाली हैं, उसका भी सही पता लगाने की शक्ति ज्योतिष शास्त्र में ही हैं। इसको ‘कालाश्रितं ज्ञानं’ भी कहा जाता हैं। अर्थात जो हमारे शुभाशुभ समय का ज्ञान कराएं वही ज्योतिष शास्त्र हैं। आज मानव जीवन में रोग, तनाव, निराशा, जल्दबाजी, असंतोष समाज व परिवार की उपेक्षा जैसे गुणों में निरन्तर वृद्धि इसका संकेत देती हैं कि व्यक्ति अपने शुभाशुभ प्रभावों से अपनी हठवादिता के कारण परिचित ही नही हो पाता है। जिससे वह कई प्रकार के दु:खों से पीडि़त रहता हैं। सूर्यनगरी जोधपुर स्थित श्री सिद्धनाथ महादेव मंदिर दादा दरबार में आचार्य के रूप में सेवाएं दे रहे रामेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी ज्योतिष विषारद पण्डित मुकेश त्रिवेदी के अनुसार ज्योतिष शास्त्र का उद्भव आज से कई हजारों वर्ष पहले हुआ था। यह अपनी प्रमाणिकता के कारण पूर्व काल में ही तीन स्कन्धों में विभक्त हुआ था। जिसमें सिद्धान्त, संहिता एवं होरा शास्त्र हैं। किन्तु धीरे-धीरे ज्योतिष और प्रखर व विकसित होता चला गया। जिससे सिद्धान्त में ज्योतिषीय गणना को शामिल किया गया जिससे ग्रह नक्षत्रों की गति, पंचाग निर्माण आदि सहित काल के सूक्ष्म इकाइयों का सृजन किया गया हैं।
ज्योतिष की प्रमाणिकता, घटनाएं देश-काल-समय आधारित
ज्योतिषविद् मुकेश त्रिवेदी के अनुसार संहिता खण्ड में ब्रह्माण्ड में घटित होने वाले घटना क्रम का उल्लेख किया हैं। जिसमें मेदिनी खण्ड, वर्षाखण्ड तथा शकुन एवं लक्षण विज्ञान का वर्णन किया गया हैं। होरा शास्त्र व्यक्ति के जीवन से मृत्यु तक होने वाली शुभाशुभ घटनाओं का वर्णन करता हैं। जिसे फलित ज्योतिष के नाम से भी जाना जाता हैं। इस प्रकार ज्योतिष शास्त्र का क्रमिक विकास होता चला गया हैं। और आज भी हम इसके उपयोग से लाभान्वित हो रहे हैं। ज्योतिष के पूर्व के प्रवर्तकों में पराशर, नारद, जैमिनी, वराहमिहिर आदि अनेकानेक नामचीन ऋ षि हैं। जिन्होंने इस शास्त्र को अधिक सारगर्भित व उपयोगी बनाने में अपना योगदान दिया हैं। ज्योतिष शास्त्र युगों से अपनी सटीक भविष्यवाणी के लिए मशहूर रहा हैं। आज भी भारतीय पंचागों में दिए गए प्रतिदिन के सूर्योंदय व सूर्यास्त के समय सहित सूर्य व चंद्र ग्रहण की घटनाएं उस देश व काल में निर्धारित समय पर होती है। जिससे आज का विज्ञान जगत भी आश्चर्य में हैं। अर्थात् काल गणना ही नहीं, अपितु फलित के क्षेत्र में ऐसी अनगिनत घटनाएं हैं, जो क्रमश: सत्य हुई हैं, जिससे ज्योतिष शास्त्र स्वत: ही प्रमाणित हैं। व्यक्ति जीवन में जन्म, रोग, प्रगति, शादी, विवाह, पद, प्रतिष्ठा, संतान, मित्र, शत्रु आदि अनेक विषयों की अनेकों भविष्यवाणियां अक्षरश: सत्य हुई है। जिससे आज भी यह शास्त्र प्रमाणित एवं प्रमाणिक हैं।
ज्योतिष शास्त्र मानव कल्याण की अनुपम विद्या
ज्योतिष शास्त्र मानव कल्याण की एक अनुपम विद्या हैं। जिससे व्यक्ति अपने जीवन में घटित होने वाली सुखद व दुखद घटनाओं का पूर्व में पता लगा लेता हैं। अर्थात आज हम भले ही विकास के उच्च स्तर पर हो पर बिना ज्योतिष के हमारा जीवन पंगु सा प्रतीत होता हैं। अर्थात हम अनेक भयावह घटनाओं से ज्योतिष के माध्यम से ही बच सकते हैं और आने वाले जीवन को सुखद व सुन्दर बना सकते हैं। अर्थात ज्योतिष शास्त्र की उपयोगिता प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रत्येक युग में रहेगी। चाहे वह जिस देश की सीमा हो, जिस जाति या धर्म का हो, उसे ज्योतिषीय पहलुओं की अनदेखी निश्चित ही भारी पड़ सकती हैं। जब से इस धरा पर मानव अवतरित हुआ हैं, तब से आज तक जीवन को सुखद व समृद्ध बनाने की नाना प्रकार की चुनौतियां उसके सामने आती रही हैं। चाहे व क्रमिक घटनाएं हो या फिर आकस्मिक घटनाएं हो या फिर कुछ अन्तराल के बाद घटने वाली घटनाएं या बीमारियां हो, उनसे मानव सदैव दो-चार होता रहा हैं। मानव जीवन न केवल दुर्लभ हैं, बल्कि अनमोल भी हैं।
सही उपयोग से जीवन को सुखी बनाया जा सकता हैं
भारत भूमि में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चतुरविधि पुरूषार्थ को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया हैं। जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के उद्देश्यों की ओर इंगित करते हैं। किन्तु बिना ज्योतिष के उपयोग के न तो मानव जीवन सुखी हो सकता हैंऔर न ही चतुर विधि पुरूषार्थ को प्राप्त किया जा सकता हैं। अर्थात जीवन को सुखी व सम्पन्न बनाने हेतु हमें संबंधित पहलुओं की पड़ताल संबंधित विशेषज्ञ आचार्यों द्वारा करवानी चाहिए। जैसे किसी के जन्मांक में कौन से ग्रह नक्षत्रों का शुभाशुभ प्रभाव चल रहा हैं। इंसान किस ग्रह नक्षत्र का उपाय व जाप पूजन करें। जिससे उसके द्वारा उसे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो और संबंधित क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित करने में सफलता हो। अर्थात यदि व्यक्ति इन छोटी-छोटी किन्तु उपयोगी बातों को ध्यान मे रखें, तो वह अपने परिवार के सहित सुखी जीवन बिताने में कामयाब रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के द्वारा मानव जीवन को उपयोगी व सुखद बनाने क्रम अति प्राचीन हैं। धरा में मानवता के कल्याण हेतु ज्योतिष शास्त्र का प्रयोग होता चला आ रहा हैं। चाहे वह आंधी, तूफान, वर्षा, हिमपात, उत्पादन, जल की बात हो या फिर व्यक्ति के जीवन की व्यक्तिगत घटनाएं हो। ज्योतिषीय ज्ञान के द्वारा ही इन घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने तथा संबंधित घटनाओं से बचने में सहयोग प्राप्त होता हैं। अर्थात् हमें अपने व अपने परिवार के हितार्थ जन्मांक के विविध शुभाशुभ पहलुओं का पता लगाना चाहिए और समय रहते उनका उपचार करना ही चाहिए।
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