Friday, 9 February 2018

तुलसी : औषधीय गुणों से सराबोर वनस्पति

घनश्याम डी रामावत
तुलसी का उपयोग भारत में महज धार्मिक इस्तेमाल के लिए ही नहीं किया जाता हैं, बल्कि प्रकृति द्वारा प्रदत्त इसके औषधीय गुणों का भी भरपूर फायदा उठाया जाता हैं। आयुर्वेद के जानकारों की माने तो कैंसर और पथरी जैसी गंभीर बीमारियों को भी तुलसी के लगातार सेवन से ठीक किया जा सकता हैं। यह घर में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं, इसलिए यह सबसे किफायती औषधि हैं। तुलसी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो इंफेक्शन जैसे सर्दी-जुकाम में खास राहत प्रदान करते हैं। 

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में तुलसी का खास महत्व
इस पौधे के अनेक फायदे हैं। आयुर्वेद विभाग से प्रथम मेल नर्स के रूप में सेवानिवृत एवं वर्तमान में राजस्थान आयुर्वेद नर्सेज एसोसिएशन के मुख्य संरक्षक दामोदर लाल दाधीच के अनुसार तुलसी शत-प्रतिशत औषधीय गुणों से सराबोर वनस्पति हैं जिसका आयुर्वेद खासतौर से सम्मान करता हैं तथा इसके गुणों का चिकित्सा के दौरान भरपूर फायदा उठाता हैं। दाधीच के अनुसार पथरी निकालने में मददगार, तुलसी की पत्तियां किडनी के स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छी होती हैं। तुलसी रक्त से यूरिक एसिड लेवल को कम करती हैं जो किडनी में पथरी बनने का मुख्य कारण होती हैं। इसके साथ ही किडनी को साथ भी करती हैं। तुलसी में मौजूद एसेटिक एसिड और दूसरे तत्व किडनी की पथरी को गलाने का काम करते हैं। साथ ही इसका पेनकिलर प्रभाव पथरी के दर्द को दूर करता हैं। किडनी की पथरी को निकालने के लिए तुलसी की पत्तियों के जूस को शहद के साथ मिलाकर 6 महीने तक रोज पीना चाहिए। यह बुखार उतारने में भी मदद करती हैं। तुलसी में कीटाणुनाशक और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। एंटी-बायोटिक बुखार कम करने के लिए भी जरूरी होता हैं। यह इंफेक्शन की वजह से होने वाली बीमारियों और मलेरिया से भी राहत देती हैं। 

आयुर्वेद के अनुसार जो इंसान बुखार से पीडि़त हो उसे तुलसी का काढ़ा बहुत ही फायदा करता हैं। इसे बनाने के लिए तुलसी की कुछ पत्तियों को आधे लीटर पानी में इलायची पाउडर के साथ मिलाकर तब तक के लिए जब तक यह मिक्सचर आधा न रह जाए। तुलसी की पत्तियों और इलायची पाउडर का अनुपात (1:0:3) होना चाहिए। इस काढ़े को चीनी और दूध के साथ मिलाकर प्रत्येक दो से तीन घंटे में जरूर पिएं। यह उपचार बच्चों को बुखार से जल्दी आराम पहुंचाता हैं। डायबिटीज को कम करता हैं, तुलसी की पवित्र पत्तियां एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एसेंशियल ऑयल से भरपूर होती हैं जो युगेनॉल, मेथाइल युगेनॉल और कार्योफेलिन का निर्माण करती हैं। ये पदार्थ पैनक्रियाटिक बेटा सेल्स (सेल्स जो इंसुलिन को स्टोर करते हैं और उसे बाहर निकालते हैं) को ठीक तरह से काम करने में मदद करते हैं। यह इंसुलिन की सेंसिविटी को बढ़ाते हैं। यह ब्लड से शुगर लेवल भी कम करते हैं और डाइबिटीज का ठीक तरह से ईलाज करते हैं। 

दिल का रखती हैं ख्याल, थकान दूर करती हैं
तुलसी में शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व- युगेनॉल होता हैं। यह तत्व ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करके दिल का देखभाल करता हैं और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता हैं। हार्ट को हेल्दी बनाने के लिए रोज खाली पेट सूखी तुलसी की पत्तियां चबाएं। इससे किसी भी तरह के हृदय संबंधी रोग दूर रहते हैं। रिसर्च के अनुसार तुलसी स्ट्रेस हार्मोन-कोर्टिसोल के लेवल को संतुलित रखती हैं। इसकी पत्तियों में शक्तिशाली एटॉप्टोजन गुण होते हैं, जिन्हें एंटी-स्ट्रेस एजेंट भी कहते हैं। यह नर्वस सिस्टम और ब्लड सर्पुलेशन को नियमित रखता हैं। साथ ही थकान के दौरान बनने वाले फी रेडिकल्स को कम करता हैं। जिन लोगों की नौकरी बहुत थकाऊ हैं उन्हें रोज दो बार तुलसी की लगभग 12 पत्तियां खानी चाहिए।

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