घनश्याम डी रामावत
फूल मालाओं से लदी एक मोटरसाईकिल और उसके पास रखी एक तस्वीर के सामने जल रही सुगंधित धूप अगरबत्तियों के बीच नारियल की ज्योत प्रज्जवलित कर अपना मस्तक झुकाकर अपनी पीड़ाओं का इजहार करते/मन्नत मांगते लोगों का भारी जमावड़ा.. सचमुच! श्रद्धा व आस्था के अद्भुत मिश्रण के साथ अत्यधिक रोमांचकारी और कोतुहलभरा दृश्य। एक साथ अनगिनत जिज्ञासाओं का जन्म और अनेक सवालों का खड़ा हो जाना लाजमी। जी हां! मैं बात कर रहा हूं, जोधपुर-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित ‘ओम बन्ना का थान’ धार्मिक स्थल की। एक ऐसा स्थान जो पौराणिक दृष्टि अथवा वेद-पुराणों के अनुसार निर्धारित किसी देवता अथवा देवी का नहीं हैं, अपितु एक ऐसी शख्सियत का हैं जिसकी करीब दो दशक पूर्व इसी स्थान पर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। जोधपुर से पाली जाते वक्त पाली से लगभग 20 किमी पहले रोहट पुलिस थाने का ‘दुर्घटना संभावित’ क्षेत्र का बोर्ड लगा नजर आता हैं और उससे कुछ दूर पहुंचते ही सडक़ के किनारे वीरान स्थान पर लगभग 30 से 40 प्रसाद/पूजा अर्चना के सामान से सजी दुकानें दिखाई देती हैं और यहीं पर नजर आता हैं भीड़ से घिरा एक चबूतरा जिस पर एक बड़ी सी फोटो लगी हुई और हर वक्त जल रही ज्योत.. चबूतरे के पास ही नजर आती हैं एक फूल मालाओं से लदी बुलेट मोटर साईकिल।
अपने जिज्ञासा को शांत करने हेतु शीघ्र ही मैंने वहां मौजूद लोगों से संपर्क साधना शुरू किया तो ज्ञात हुआ कि करीब 27 वर्ष पूर्व पाली जिले के निकटवर्ती चोटिला गांव(रोहट तहसील) के ठाकुर जोग सिंह राठौड़ के पुत्र ओमसिंह राठौड़ का इसी स्थान पर अपनी इसी बुलेट मोटर साईकिल पर जाते हुए वर्ष 1988 में एक दुर्घटना में निधन हो गया था। स्थानीय लोगों के अनुसार इस स्थान पर हर रोज कोई न कोई वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाया करता था। हालांकि जिस स्थान पर/पेड़ के पास ओमसिंह राठौड़ की दुर्घटना घटी वहीं पर अक्सर वाहन क्यों दुर्घटना का शिकार हो जाते थे, यह रहस्य आज भी यथावत रूप से बना हुआ हैं। इन सडक़ दुर्घटनाओं में कई लोग अपनी जान गंवा चुके थे। ओमसिंह राठौड़ की दुर्घटना में मृत्यु के बाद पुलिस अपनी कार्यवाही के तहत उनकी मोटर साईकिल(बुलेट) को पाली पुलिस थाने लेकर चली गई किन्तु अप्रत्याशित तरीके से अगले दिन सुबह मोटर साईकिल को पुलिस थाने में नहीं पाकर पुलिस थाने का पूरा स्टॉफ हैरान रह गया। आखिर तलाश करने पर मोटर साईकिल दुर्घटना स्थल पर ही पाई गई। पुलिस कर्मी एक बार फिर मोटर साईकिल को थाने लेकर गए लेकिन एक बार फिर रात वाली घटना का ही दोहरान हुआ। पुलिस थाने से रात्रि के समय मोटर साईकिल का गायब हो जाना और उसका दुर्घटना स्थल पर अपने आप पहुंच जाने के अनवरत घटनाक्रम के बाद आखिर पुलिस स्टॉफ व दिवंगत ओमसिंह राठौड़ के पिता ने इसे ओमसिंह की मृत आत्मा की इच्छा समझ इस बुलेट मोटर साईकिल को दुर्घटना स्थल/पेड़ के पास छाया की व्यवस्था कर रख दिया।
धार्मिक स्थल पर पूजा-अर्चना करने वालों का तांता
जैसा कि धार्मिक स्थल पर मौजूद/स्थानीय लोग बताते हैं.. मोटर साईकिल के दुर्घटना वाले स्थल पर स्थापित कर दिए जाने के बाद ओमसिंह राठौड़ को रात्रि में अक्सर वाहन चालको को दुर्घटना से बचाने के उपाय करते व चालकों को रात्रि में दुर्घटना से सावधान करते देखा गया। उनके अनुसार ओमसिंह दुर्घटना संभावित जगह तक पहुंचने वाले वाहन को किसी ने किसी तरीके से रोक देते अथवा संबंधित वाहन की गति को धीमे कर देते ताकि फिर कोई उनकी तरह असामयिक मौत का शिकार न बने। धीरे-धीरे इस स्थान ने एक धार्मिक स्थल का रूप ले लिया और लोग ओमसिंह राठौड़ की ‘ओम बन्ना’ के रूप में पूजा करने लगे। जैसी की मान्यता हैं, इसके बाद आज तक इस स्थान पर दुबारा कोई दुर्घटना नहीं घटी। ओमसिंह राठौड़ के देवलोक हो जाने के बाद भी उनकी आत्मा द्वारा इस तरह का नेक काम करते देख/चमत्कारिक किस्सों को सुनकर इस राजमार्ग से गुजरने वाले वाहन चालकों व धार्मिक स्थल के आसपास के लोगों में उनके प्रति आस्था व श्रद्धा बढ़ती गई। इसी के परिणामस्वरूप इस धार्मिक स्थल हर वक्त पूजा-अर्चना करने वालों का तांता लगा रहता हैं।
पीड़ा/कष्ट के निस्तारण की उम्मीद के साथ सजदा
अब तो आलम यह हैं कि लोग अपने सांसारिक जीवन से ताल्लुक रखने वाली हर पीड़ा/कष्ट के निस्तारण की उम्मीद के साथ अपनी मनचाही मुराद के पूरा हो जाने की कामना लिए यहां पहंचने लगे हैं। ‘ओम बन्ना’ की तस्वीर/उनकी मोटर साईकिल पर फूल माला अर्पित करने के साथ ही धूप/अगरबत्ती के साथ नारियल की ज्योत कर नमन करते हुए मन में मुरादों के पूरा हो जाने की उम्मीद के साथ श्रद्धालु अपने घर लौट पड़ते हैं। इस राजमार्ग से गुजरने वाला हर वाहन यहां रुक कर व धार्मिक स्थल को नमन कर ही आगे बढ़ता हैं। स्थानीय लोग ही नहीं पुलिस थाने से इस तरह मोटर साईकिल द्वारा अपना स्थान छोडक़र दुर्घटना स्थल पर पहुंच जाने की घटना के बाद पुलिसकर्मी भी आश्चर्यचकित हैं। इस घटना के 27 वर्ष बीत जाने के बाद भी पुलिसकर्मियों के जेहन में ओमसिंह राठौड़ का चमत्कार/उनके प्रति आस्था का भाव बरकरार हैं, संभवत: यहीं कारण हैं कि आज भी इस थाने में नई नियुक्ति पर आने वाला हर पुलिस कर्मी ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले यहां दर्शन करने जरूर पहुंचता हैं।
मार्ग शीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मेले का आयोजन
विविधताओं से भरे हमारे देश में देवताओं, इंसानों, पशुओं, पक्षियों व पेड़ों की पूजा-अर्चना तो आम बात हैं किंतु एक मोटर साईकिल पर पुष्प हार चढ़ाकर सजदा करते हुए उससे मन्नत मांगना/मन्नत के पूरी होने की उम्मीद पालना वाकई अंतर्मन को झकझौर कर रख देता हैं। किसी ने सच कहा हैं आस्था व श्रद्धा को किसी रूप में मापा/तौला अथवा परखा नहीं जा सकता.. इसका तो सीधा संबंध दिल/आत्मा से हैं, जब किसी के प्रति भरोसा जाग उठता हैं तो फिर इंसान बस उसी का होकर रह जाता हैं, ‘ओम बन्ना का थान’ धार्मिक स्थल का भी यहीं आलम हैं। संभवत: यह दिवंगत ओमसिंह राठौड़ के चमत्कारों/नेक कार्यो का ही परिणाम हैं कि इस स्थल पर प्रतिदिन सैंकड़ों की तादाद में लोग दर्शनार्थ पहुंचते हैं। धार्मिक स्थल पर प्रतिवर्ष मार्ग शीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी को दिवंगत ओमसिंह राठौड़ की पुण्य तिथि पर मेले का आयोजन होता हैं। इसको लेकर व्यवस्थाओं संबंधी संपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन दिवंगत ओमसिंह राठौड़ के परिवारजनों(चोटिला गांव) द्वारा ही किया जाता हैं। इस दिन हजारों की भीड़ के चलते माहौल पूरी तरह मेले का सा बन जाता हैं।
पुण्य तिथि से एक दिन पूर्व बकायदा धार्मिक स्थल पर भजन संध्या भी आयोजित होती हैं जिसमें जाने माने कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते हैं। पुण्य तिथि वाले दिन धार्मिक स्थल पर आयोजित मेले में शरीक होने क्षेत्र के निर्वाचित जन-प्रतिनिधि/गणमान्य नागरिक/स्थानीय वाशिंदों के अलावा राजस्थान के विभिन्न जिलों से व गुजरात-हरियाणा से भी बड़ी तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
(ब्लॉगर का उद्देश्य स्थान विशेष के बारे में अवगत कराना मात्र हैं। इसमें उद्धत किया गया सब कुछ सुनी-सुनाई जानकारी के आधार पर हैं(अर्थात अंधविश्वास को बढ़ावा देना कतई मकसद नहीं हैं)। संदर्भ में विश्वास करना/अंधविश्वास मानना अध्ययन करने वालो/पाठकों के स्वविवेक पर हैं।
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