Sunday, 6 December 2015

उज्जैन का ‘अखंड ज्योति’ मंदिर: हनुमान जी की सिंदूरी प्रतिमा भक्तों के आकर्षण का केन्द्र

घनश्याम डी रामावत
महाकाल की नगरी उज्जैन अर्थात मध्य प्रदेश का ऐसा शहर जो अपनी विविधताओं के लिए देश ही नहीं विश्वभर में अपनी विशेष पहचान रखता हैं। यहां के अखंड ज्योति मंदिर में राम भक्त हनुमान जी की मूर्ति से लेकर उनको पूजने का विधि-विधान.. सब कुछ ही निराला हैं। जहां एक तरफ हनुमान जी की सिंदूरी प्रतिमा भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं, वहीं पांव के नीचे दबी लंकिनी राक्षसी उनके पराक्रम की कहानी सुनाती हैं। ऐसी धारणा हैं कि श्रीराम अनुज लक्ष्मण जी को बचाने के लिए जब हनुमान जी संजीवनी लेकर आ रहे थे तो लंकिनी नाम की राक्षसी ने उनका रास्ता रोक कर उन्हें जाने से रोका, जिसके बाद हनुमान जी लंकिनी को अपने पैरों के नीचे दबाकर आगे बढ़ गए थे। इस मंदिर में राम भक्त हनुमान/महावीर/बजरंग बली के उसी रूप के दर्शन होते हैं, जहां आज भी हनुमान जी के पैरों तले लंकिनी विराजमान हैं।

अखंड दीये में चमत्कारी शक्तियां समाहित
अखंड ज्योति मंदिर में खास साज श्रृंगार के साथ बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी का ये रूप वाकई मनमोहक हैं। दक्षिणामुखी हनुमान जी की इस प्रतिमा में उनके एक हाथ में संजीवनी तो कंधे पर गदा सुशोभित हैं। ऐसी मान्यता हैं कि हाथों में बाजू-बंद, पांव में पायजेब और कलाई में कड़े पहने हुए बजरंग बली के दिव्य रूप के दर्शन मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। मंदिर के नाम के अनुरूप ही यहां जलता अखंड दिया भक्तों को बजरंग बली के चमत्कार की कहानी सुनाता हैं। वैसे तो देखने में ये मंदिर हनुमान जी के अन्य मंदिरों की तरह ही हैं लेकिन मंदिर में सालों से जल रहे अखंड दीये में बजरंग बली की चमत्कारी शक्तियां समाहित हैं। कहते हैं साढ़े साती से परेशान भक्त अगर इस मंदिर में आकर इस अखंड दीये के दर्शन कर लें और मंदिर में आटे का एक दीया जला दें तो शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलते देर नहीं लगती।

यहां लगाया जाता हैं अखरोट के प्रसाद का भोग
भक्त हनुमान जी को यहां कई तरह के प्रसाद चढ़ाते हैं। जन-जन की श्रद्धा/आस्था के केंद्र इस मंदिर में भक्त अपनी मनोकामना प्रसाद के माध्यम से लेकर आते हैं। अगर किसी को झगड़े, मकदमों से छुटकारा चाहिए तो एक नारियल के अर्पण मात्र से उसके तमाम कष्टों का निवारण हो जाता हैं। ठीक उसी तरह जिन भक्तों को संतान की कामना हैं वो अपनी शक्ति और भक्ति के अनुसार एक, दो या पांच किलो तेल अखंड ज्योति में चढ़ाने का संकल्प लेते हैं। चना-चिरौंजी से प्रसन्न होने वाले हनुमान जी को यहां विशेष तौर से अखरोट के प्रसाद का भोग लगाया जाता हैं। ऐसी धारणा हैं कि जिन भक्तों की मन्नत पूरी होती हैं वो यहां आकर आटे में गुड़ मिलाकर रोट का प्रसाद तैयार करते हैं और बजरंग बली को भोग लगाते हैं। मंदिर में प्रतिदिन होने वाली आरती का गवाह बनने के लिए बड़ी संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ता हैं।

मंगलवार और शनिवार को पूजा से विशेष लाभ
मान्यता हैं कि इस मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा संग उनकी दायीं ओर रखी हुई चंदन की गदा के दर्शन करने से बल, विद्या और बुद्धि का वरदान प्राप्त होता हैं। विश्व पटल पर अपनी गंगा-जमुनी संस्कृति/अनेकों विविधताओं को समाहित करते हुए विशेष मुकाम रखने वाले भारत के प्रमुख राज्य मध्यप्रदेश के इस मंदिर ने निश्चित रूप से अपनी धार्मिक/पौराणिक मान्यताओं के चलते उज्जैन ही नहीं देश को भी खास पहचान दी हैं। मंदिर में देशभर से उमड़ते भक्तों के सैलाब को देखकर यह कहा जा सकता हैं कि इस मंदिर के प्रति लोगों की जबरदस्त आस्था हैं। यहां अनंत आस्था से श्रद्धालु पवन पुत्र से विनती करते हैं और जैसा कि उनकी मान्यता हैं, हनुमान जी उनकी पुकार को सुनते हुए कल्याण करते हैं। धारणा के अनुसार मंगलवार और शनिवार को अखंड ज्योति मंदिर में पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता हैं।

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