घनश्याम डी रामावत
मारवाड़ के रूप में पहचान रखने वाले पश्चिमी राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे ही चल रही हैं। इसकी वजह जिला मुख्यालयों से लेकर तहसील मुख्यालयों तक चिकित्सकों की जबरदस्त कमी हैं। जोधपुर संभाग में 318 चिकित्सकों के पद लम्बे समय से रिक्त पड़े हैं, जिस कारण मरीजों का दबाव यहां सेवाएं दे रहे प्रत्येक चिकित्सक पर अधिक हैं एवं उनका वर्कलोड अप्रत्याशित तरीके से बढ़ गया हैं। ऐसी ही हालत नर्सेज की हो रखी हैं। इसके चलते आए दिन अस्पतालों में फसाद भी हो रहे हैं।
अकेले जोधपुर जिले में ही 127 पद रिक्त
सीधे तरीके से स्थिति को बयां करे तो मुठ्ठी भर चिकित्सकों के सहारे मारवाड़ की चिकित्सा व्यवस्था को सुचारू चलाने का दबाव चिकित्सा के संयुक्त निदेशक जोधपुर जोन पर हैं। अकेले जोधपुर जिले में ही 127 चिकित्सकों के पद रिक्त हैं। यानि पूरे संभाग की तुलना में अकेले जोधपुर में ही आधे पद रिक्त पड़े हैं ये पद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के अधीन आने वाले अस्पतालों की संख्या वाले हैं, मेडिकल कॉलेज के पद मिलाएं तो ये संख्या अधिक हो जायेगी। ये हालत संभागीय मुख्यालय जोधपुर जैसे जिले की हैं। जोधपुर जिले की बात करे तो यहां पर 25 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर के अस्पताल हैं। 85 ग्रामी स्वास्थ्य केंद्र हैं। 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। यहां पर 150 प्रसव ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिदिन होने का दावा किया जा रहा हैं। जिले के सेटलाइट, जिला अस्पताल व जोधपुर शहरी डिस्पेंसरियों में प्रसव की बात करे तो ये संख्या 175 के आसपास बैठती हैं।
415 पद स्वीकृत, सेवाएं दे रहे 288
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के अधीन आने वाले अस्पतालों में कुल 415 पद चिकित्सकों के स्वीकृत हैं, जिसमें से 288 पद पर ही चिकित्सक लगे हैं। उसमें से ही गांवों की जगह चिकित्सक प्रतिनियुक्ति पर जोधपुर शहर के अस्पतालों में टिके हैं। वही पाली जिले में वर्तमान में 281 चिकित्सक कार्यरत हैं और 120 पद खाली पड़े है। जालोर में 287 पद सृजित हैं लेकिन चिकित्सक 127 ही कार्यरत हैं। सिरोही में 134 चिकित्सकों के ही पद ही स्वीकृत हैं जिसकी जगह वहां पर 73 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। बाड़मेर जिले में 292 की जगह 167 ही कार्यरत हैं। जैसलमेर में 150 पद स्वीकृत हैं, उसकी जगह 68 चिकित्सक ही कार्यरत हैं, जैसलमेर में सबसे कम पद सरकार ने दे रखे हैं, उसमें से भी 82 पद रिक्त पड़े हैं।
सरकार द्वारा गंभीरता से लेने की जरूरत
संभाग में पीएमओ ही जिला स्तर के व सेटलाइट अस्पताल चलाते आए हैं। इसकी हालत यहां बड़ी दयनीय हैं। इनके अधीन भी चिकित्सक पूरे नहीं हैं। पावटा जोधपुर में तो 31 चिकित्सकों के पद की जगह पूरे चिकित्सक कार्यरत हैं तो महिलाबाग में 40 की जगह 15 पद पर ही चिकित्सक कार्यरत हैं। पाली में 57 की जगह 32, सोजत में 36 की जगह 18, जालोर में 45 की जगह 30, सिरोही में 42 की जगह 32, बालोतरा में 36 की जगह 18, जैसलमेर में 59 की जगह 37 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। ये वे संभाग के अस्पताल हैं जहां पर सर्वाधिक मरीजों की कतारे लगती हैं। जहां पर ही पूरे चिकित्सक नही होने के कारण व्यवस्थाएं चरमराई रहती हैं। संपूर्ण स्थिति वाकई चिंताजनक हैं जिसे सरकार द्वारा गंभीरता से लिए जाने की आवश्यकता हैं।
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