घनश्याम डी रामावत
सूर्यनगरी जोधपुर के माचिया जैविक उद्यान आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को सफेद टाइगर की दहाड़ सुनने सहित उसकी अठखेलियों से दो चार होने के लिए कुछ समय और इंतजार करना पड़ेगा। सफेद टाइगर को यहां लाने की योजना पर फिर से एक बार पानी फिर गया हैं। योजना की विफलता के लिए वन अधिकारियों द्वारा सफेद टाइगर के लिए सही तरीके से पैरवी नहीं करने एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा मामले में रूचि नहीं लिए जाने को जिम्मेदार माना जा रहा हैं।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जंतुआलय ने एनिमल एक्सचेंज योजना के तहत करीब एक वर्ष पूर्व ही सफेद टाइगर जोधपुर माचिया जैविक उद्यान को देने पर सैद्धांतिक सहमति व्यक्त कर दी थी, किन्तु केन्द्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण के अधिकारियों ने मात्र सफेद टाइगर होने के कारण इसे हरी झण्डी नहीं दी। सफेद टाइगर को लेकर विफलता के बीच अच्छी खबर यह हैं कि जैविक उद्यान में जल्दी ही दो रॉयल बंगाल टाइगर दस्तक देने वाले हैं। कानपुर जंतुआलय ने जोधपुर के लिए दो रॉयल बंगाल टाइगर सहित 2 सेही के जोड़े देने पर सहमति जता दी हैं। कानपुर जूूूलोजिकल पार्क ने वन्यजीव आदान-प्रदान योजना अंतर्गत उप वन संरक्षक (वन्य जीव) जोधपुर को रॉयल बंगाल टाइगर देने पर लिखित में सहमति प्रदान कर दी हैं। दो टाइगर के बदले जोधपुर वन विभाग को एक भेडि़ए का जोड़ा तथा दो नर, चार मादा सहित कुल 6 चिंकारे देने होंगे।
जोधपुर का वातावरण सफेद टाइगर के उपयुक्त
माचिया जैविक उद्यान में करोड़ों की लागत से तैयार किए गए एन्क्लोजर्स रॉयल बंगाल टाइगर के लिए उपयुक्त होने के बावजूद सीजेडए की ओर से सफेद टाइगर के लिए मना करना समझ से परे हैं। राजस्थान में जयपुर और उदयपुर के जैविक उद्यान में सफेद शेर मौजूद हैं। जयपुर, उदयपुर और जोधपुर की भौगोलिक स्थिति तथा जलवायु में विशेष अंतर नहीं हैं। यहीं कारण हैं छत्तीसगढ़ जंतुआलय प्रशासन द्वारा सफेद टाइगर देने की सहमति जताने के बाद भी केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण की ओर से मंजूरी नहीं दिए जाने को अधिकारियों की मनमानी करार दिया जा रहा हैं। वन्य जीव विशेषज्ञों का मानना हैं कि इसके लिए जोधपुर की ओर से सफेद टाइगर लाने के मामले में वन अधिकारियों द्वारा सहीं ढ़ंग से पैरवी नहीं की गई।
सफेद और पीले टाइगर में खास अंतर नहीं
तकनीकी तौर पर सफेद और पीले टाइगर में कोई विशेष अंतर नहीं हैं। छत्तीसगढ़ जंतुआलय से सहमति मिलने के बावजूद महज अधिकारियों की तथाकथित ढि़लाई की वजह से माचिया जैविक उद्यान आने वाले पश्चिमी राजस्थान सहित देशी-विदेशी पर्यटकों को सफेद टाइगर की अठखेलियों को देखने के लिए कुछ समय और इंतजार करना पड़ेगा। जैविक उद्यान में सफेद टाइगर आ जाने के बाद पर्यटन दृष्टि से लोगों का इस पार्क के प्रति रूझान बढ़ेगा, यह तय हैं। बहरहाल! पर्यटकों को यहां आने वाले रॉयल बंगाल टाइगर से संतोष करना पड़ेगा।
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