घनश्याम डी रामावत
सूर्यनगरी जोधपुर की कायलाना पहाडिय़ों के बीच बना पश्चिमी राजस्थान का पहला बॉयलोजिकल पार्क शहर के बाशिंदों और देशी विदेशी सैलानियों को बहुत ज्यादा पसंद आ रहा हैं। अब तक की बात करे तो यहां कुल 6 लाख 43 हजार दर्शक वन्यजीवों को निहार चुके हैं। इससे राज्य सरकार को दर्शकों से कुल 2 करोड़ 10 लाख रुपए की राजस्व आय हुई हैं। इस प्राकृतिक इन्टरप्रीटिशन सेन्टर में वन्यजीवों का अनूठा संसार हैं।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किया उद्घाटन
माचिया बॉयलोजिकल पार्क का 20 जनवरी 2016 को उद्घाटन हुआ था। खुद सूबे की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने जोधपुर दौरे के दौरान इसका शुभारम्भ किया था। तब से लेकर अब तक इस पार्क को लाखों की संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक देख चुके हैं। इस माचिया बॉयलॉजिकल पार्क की विशेषता की बात करें तो यह पार्क ऐसी जगह पर स्थापित हुआ हैं जो केवल पूर्व में एक पथरीला इलाका हुआ करता था। जहां सिर्फ पहाड़ों के सिवा कुछ देखने को नहीं मिलता। मगर वन्य अधिकारियों के प्रयासों से यहां ब्लास्टिक कर खड्डों के अंदर बाहर से लाकर खाद्य और मिट्टी भर के पेड़-पौधे लगाए गए। वहीं इस पार्क में अब तक 6 लाख 43 हजार से अधिक देशी-विदेशी पर्यटक इस पार्क को देख चुके हैं जिससे लगभग 2 करोड 10 लाख रूपए की आय राजस्थान सरकार को हुई हैं।
रणथम्बोर, सरिस्का, सीता माता एवं अन्य वन विभागों में अपनी सेवाएं देने के बाद हाल ही में जोधपुर वन्यजीव उप वन संरक्षक के रूप में पदस्थापित होने वाले बी एस राठौड़ का कहना हैं कि यह पूर्व में पूरी तरह से पथरीला इलाका हुआ करता था जहां गर्मी भी अधिक पड़ती थी और पेड पौधों का यहां नामो निशान तक नहीं था। ऐसे में काफी कठिन रहा मगर उन सभी को पीछे छोडक़र टीम भावना से मेहनत का ही नतीजा हैं कि मारवाड़ का पहला बॉयलॉजिकल पार्क यहां स्थापित हो सका।
कुल क्षेत्रफल 604 बाई 69 हेक्टेयर
ज्ञातव्य रहें, इस बायोलॉजिकल पार्क का कुल क्षेत्रफल 604 बाई 69 हेक्टेयर हैं। 32.43 करोड़ की लागत से बने इस पार्क में लोगों को वन्यजीवों के प्रति जागरूक करने के लिए इंटरप्रिटेशन सेंटर का भी निर्माण किया गया हैं। इसमें लोग वन्यजीवों के बारे में अधिकाधिक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। पार्क में आने वाले सैलानियो की अब तक की संख्या को देखने के बाद यह कहा जा सकता हैं कि वे माचिया से खुश हैं।
28 प्रजातियों के पौधे पार्क में मौजूद
वर्तमान में इस उद्यान में 28 प्रजातियों के धौंक, नीम, बबूल, कुमठ, छेकड़ा, कचनार, लसोड़, गूंदी, पीपल, बरगद, गूलर, पाखर, चुरेल, विलायती बबूल, देशी बबूल, आंवला, करंज, कदम्ब, जाळ, फरास, झाड़ी बेर, केर, खेजड़ी, पारस पीपल, गूगल, गांगणी आदि के पौधे हैं।
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