घनश्याम डी रामावत
एक समय था जब इंटरनेट पर हिन्दी में लेखन का विचार अथवा कल्पना करना, बिल्कुल वैसा ही था जैसे रेगिस्तान में पानी तलाशना। इंटरनेट पर इसे सुलभ बनाया यूनिकोड ने। यह स्वीकारने में किसी को भी झिझक नहीं होनी चाहिए कि हिंदी की जितनी सेवा किसी हिंदी के महान लेखक ने अथवा विद्वान ने की होगी, उससे कहीं अधिक हिंदी की सेवा यूनीकोड फोंट ने की हैं। वास्तव में तमाम हिंदी भाषी लोगों को अपने मन की बात अपनी जुबान में कहने का सौभाग्य इसी यूनिकोड फोंट कि बदौलत ही मिला हैं। यकीन मानिए अगर यूनिकोड फोंट नहीं होता तो बहुत से लोग, जो धड़ल्ले से आज इंटरनेट में हिंदी में अपनी बात कह रहे हैं, वे मौन होते।
एक समय था जब इंटरनेट पर हिन्दी में लेखन का विचार अथवा कल्पना करना, बिल्कुल वैसा ही था जैसे रेगिस्तान में पानी तलाशना। इंटरनेट पर इसे सुलभ बनाया यूनिकोड ने। यह स्वीकारने में किसी को भी झिझक नहीं होनी चाहिए कि हिंदी की जितनी सेवा किसी हिंदी के महान लेखक ने अथवा विद्वान ने की होगी, उससे कहीं अधिक हिंदी की सेवा यूनीकोड फोंट ने की हैं। वास्तव में तमाम हिंदी भाषी लोगों को अपने मन की बात अपनी जुबान में कहने का सौभाग्य इसी यूनिकोड फोंट कि बदौलत ही मिला हैं। यकीन मानिए अगर यूनिकोड फोंट नहीं होता तो बहुत से लोग, जो धड़ल्ले से आज इंटरनेट में हिंदी में अपनी बात कह रहे हैं, वे मौन होते।
यूनिकोड की महत्ता सरकार के राजभाषा विभाग ने बहुत पहले समझ लिया था,इसीलिये राजभाषा विभाग द्वारा सभी कार्यालयों में यूनिकोड लागू करने का सफल प्रयास किया गया। इससे हिंदी टाइपिंग में सुविधा हुई। इस सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में कंप्यूटर की इतनी अहम भूमिका हैं कि एक तरह से बिन कंप्यूटर सब सून वाली स्थिति हैं। देश के तमाम सरकारी विभागों में हिंदी में सहजता से काम संभव हो सका तो इसमें भी यूनिकोड फोंट की ही अहम् भूमिका हैं। क्योंकि राजभाषा विभाग द्वारा सभी कंप्यूटरों पर यूनिकोड की सुविधा को अनिवार्य बनाया गया हैं।
कार्यालयों में हिन्दी में कार्य करना आसान हुआ
इससे अलग-अलग फॉन्ट की फाइलें किसी भी ऑफिस में यूनिकोड की सहायता से खुल सकती हैं तथा यूनिकोड की सुविधा रखने वाले सभी कार्यालयों में एक ही फॉन्ट पर हिन्दी में कार्य करना आसान हुआ हैं। यही वजह हैंकि आज सभी सरकारी विभागों के व समस्त कार्यालयों में कंप्यूटरों पर यूनिकोड की सुविधा है। हिन्दी में लिखना-पढऩा नहीं जानने वाले कार्मिकों को हिन्दी भाषा का प्रशिक्षण राजभाषा विभाग के अधीनस्थ केंद्रीय हिन्दी प्रशिक्षण संस्थान के देशभर में स्थापित 117 केंद्रों पर कक्षाओं तथा पत्राचार के द्वारा दिया जाता हैं। प्राय: हिन्दी अथवा हिन्दी-अंग्रेजी मिश्रित माध्यम से दिया जाता हैं। किन्तु इस तथ्य को ध्यान में रखकर कि किसी भी व्यक्ति के लिए कोई भी प्रशिक्षण अपनी मातृभाषा अथवा शिक्षा की भाषा में दिया जाना अधिक सफल होता हैं, हिंदी नहीं जानने वाले लोगों को ऑनलाइन हिन्दी भाषा का प्रशिक्षण देने के लिए ’लीला‘ नामक एक सॉफ्टवेयर विकसित कराया गया हैं। साल 1991 में अक्टूबर में यूनिकोड अस्तित्व में आया था। 27 सालों पहले इसी अक्टूबर माह में यूनिकोड का पहला संस्करण 1.0.0 जारी हुआ था। इसमें नौ भारतीय लिपियां देवनागरी, बंगाली, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, गुजराती, गुरूमुखी, मलयालम तथा ओडिय़ा शामिल की गयी। इसके आने के बाद ही हिन्दी विकिपीडिया आरम्भ हो सका।
यह यूनिकोड फोंट का ही कमाल है कि आज हर दिन इंटरनेट में 1,0000000 शब्दों की भारतीय भाषाओं की सामग्री शामिल हो रही हैं। आज दुनिया में अंग्रेजी के बाद हिन्दी दूसरी वह भाषा है जो इंटरनेट में सबसे ज्यादा प्रयुक्त होने वाली भाषा हैं। यूनिकोड कि बदौलत आज हर दिन 50 करोड़ भारतीय विभिन्न भारतीय भाषाओं में इंटरैक्ट करते हैं। यूनिकोड न होता तो आज करोड़ो भारतीयों के जीवन में इंटरनेट की वह भूमिका न होती जो आज हैं। यूनिकोड ने हिंदी ही नहीं तमाम भारतीय भाषाओं को दुनिया के कोने कोने तक पहुंचाया हैं। यूनिकोड की बदौलत ही संभव हो सका हैं कि विदेशों में रहने वाले 2.5 करोड़ से ज्यादा भारतीय आज भारत में रह रहे अपने परिजनों व रिश्तेदारों से उन्हीं भाषाओं और जुबानों में बोलते बतियाते हैं जिनमें बचपन में बोलते बतियाते थे। इससे और अधिक भावनात्मक आत्मीयता व अपनापन बढ़ा हैं।
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