घनश्याम डी रामावत
शिवालय में मौनी कृपा देव दर्शन सभागार
विरक्त मौनी बाबा का संक्षिप्त परिचय
मौनी बाबा की अपनी पचास वर्षों की मौन साधना का केन्द्र एवं तपोस्थली रहा ‘उम्मेद उद्यान स्थित शिवालय’, जोधपुर के प्रमुख शिवालयों में से एक माना जाता हैं। वर्ष 1946 में पहाड़ीनुमा छोटे चबूतरे पर बने शिवालय के पास मौनी बाबा ने अपनी आराधना की शुरूआत की। सूर्यनगरी(जोधपुर) के कुछ श्रद्धालुओं ने बारिश व धूप में साधना करते देख मौनी बाबा के लिए एक छोटी-सी कुटियां का निर्माण करवाया। धीरे-धीरे लोगों की आस्था बढ़ती गई और यह छोटा सा शिवालय श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख आस्था स्थल बन गया। वर्ष 1989 में भारत मन्दिर हरिद्वार के संस्थापक व निवृत शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद के सानिध्य में शिव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। मन्दिर के सत्संग सभागार में मां अम्बे, गिर्राजधरण, बालाजी मंदिर तथा राम दरबार भी जन-जन की आस्था के प्रमुख केन्द्र हैं।
शिवालय में मौनी कृपा देव दर्शन सभागार
जोधपुर स्थित उम्मेद उद्यान के शिवालय में मौनी कृपा दर्शन सभागार भी हैं। इसमें भगवान सत्यनारायण, राधाकृष्ण, मां सरस्वती, मां संतोषी, विष्णु लक्ष्मी, लोक देवता बाबा रामदेव, साई बाबा, भगवान झूलेलाल, भक्त शिरोमणि मीरा बांई और दत्तात्रेय की प्रतिमाएं प्रमुख हैं। मन्दिर से सटे सत्संग भवन सभागार में कपिल मुनि, सती अनसूया, मानस रचयिता गोस्वामी तुलसीदास, ऋषि विश्वामित्र, देवर्षि नारद, सांदीपनी, पितामह भीष्म, सूतजी, अंगिराजी, ऋषि वशिष्ठ एवं वेदव्यास जैसे प्रमुख ऋषि मुनियों की प्रतिमाएं भी विद्यमान हैं। वर्ष 1966 में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी, संवत् 2053/23 मई 1996 को मौनी कृपा देव दर्शन सभागार का शुभारम्भ खेड़ापा रामस्नेही पीठ के पीठाचार्य पुरूषोत्तमदास द्वारा किया गया। सभागार के शुभारम्भ के कुछ माह पूर्व ही 4 फरवरी 1996 को मौनी बाबा ब्रह्मलीन हो गए। ब्रह्मलीन होने के बाद श्रद्धालु भक्तों की ओर से सभागार में मौनी बाबा की प्रतिमा स्थापित की गई। वर्ष 2007 में तपोस्थली को संत कुटीर में तब्दील कर दिया गया।
विरक्त मौनी बाबा का संक्षिप्त परिचय
जन-जन की श्रद्धा व आस्था के केन्द्र विरक्त मौनी बाबा का सांसारिक नाम ‘रामसेवक दास’ था। शिव मन्दिर भूमि पर दशकों तक तपस्या के दौरान मौनी बाबा ‘मौन’ ही रहे। मौनी बाबा कहां से आए, यह आज भी किसी को ज्ञात नहीं हैं। मन्दिर से ताल्लुक रखने वाले कुछ बुजुर्ग श्रद्धालुओं की मानें तो मौनी बाबा उत्तर प्रदेश में राजकीय सेवा में थे एवं उन्हें सेवा में रहते ही वैराग्य की अनुभूति होने पर सब कुछ छोड़ कर निकल गए। जोधपुर उम्मेद उद्यान स्थित शिव मंदिर में रात्रि विश्राम के बाद सवेरे रवाना होते वक्त अचानक काले सर्प के दर्शन के बाद(कथित रूप से उनका मार्ग रोके जाने के पश्चात्) उसी स्थान पर उन्होंने मौन साधना शुरू की जो अनवरत पचास वर्षों तक जारी रही(इससे पूर्व जैसा कि उनके भक्त व जानने वाले बताते हैं मौनी बाबा कहीं भी एक स्थान पर नहीं ठहरते थे अर्थात रात्रि विश्राम के बाद अगले दिन सवेरे अन्य गंतव्य की ओर प्रस्थान करना ही उनकी जीवन शैली थी)।
साधना के दौरान उन्हें यदि कुछ आवश्यक वस्तु की जरूरत होती तो वे स्लेट पर लिखकर अपने भक्तों से संवाद करते थे। उम्र के साथ उनके स्वास्थ्य में गिरावट के चलते एक अगस्त 1992 को परिव्राजकाचार्य स्वामी ईश्वरानंदगिरी(संत सरोवर-आबू पर्वत) उम्मेद उद्यान मन्दिर पहुंचे और मौनी बाबा से उनके मौनी व्रत का पारणा करवाया। मौनी बाबा ने मन्दिर के विकास के लिए वर्ष 1985 में शिवजी महाराज ट्रस्ट की स्थापना की, जिसमें कानसिंह परिहार, सतीशचंद्र गोयल, ओ पी पुरी, शरद मूंदड़ा व धर्मीचंद पंवार क्रमश: अध्यक्ष रहे। वर्तमान में सम्पतराज परिहार श्री शिवजी मंदिर ट्रस्ट मंडल/पब्लिक पार्क(शिवालय) के अध्यक्ष हैं। स्वरूपसिंह भाटी सचिव, रामचंद्र बोराणा व्यवस्थापक तथा अनिल टेवानी कोषाध्यक्ष हैं।
प्रतिवर्ष श्रावण मास में मेले का आयोजन
जोधपुर उम्मेद उद्यान स्थित शिव मन्दिर प्रांगण में प्रतिवर्ष श्रावण सोमवार को मेले का आयोजन किया जाता हैं। मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। मन्दिर संचालन समिति(श्री शिवजी मंदिर ट्रस्ट मंडल/पब्लिक पार्क) के अनुसार शिवरात्रि, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, नवरात्रा, मौनी महाराज वर्षी उत्सव व माघ पूर्णिमा के अवसरों पर विशेष झांकियों के साथ सत्संग का आयोजन किया जाता हैं। शिव मन्दिर ट्रस्ट की ओर से प्रत्येक गुरू पूर्णिमा को आम भण्डारे का आयोजन भी होता हैं। मन्दिर परिसर में पक्षियों के लिए विशाल चुग्गा देने की व्यवस्था भी हैं।
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