Monday 1 October 2018

इंग्लैण्ड की परविन्दर : भारत में मनाया श्राद्ध/इंटरनेट बना मददगार

घनश्याम डी रामावत
इंटरनेट ने इंसान को कितना हाइटेक बना दिया हैं इसकी ताजा मिसाल उस वक्त देखने को मिली जब इंग्लैण्ड की परविन्दर कौर ने अपने दिवंगत परिजनों का श्राद्ध इंटरनेट का सहारा लेते हुए फेसबुक लाइव के माध्यम से भारत में मनाया। इस मौके जोधपुर के श्री हनुमान-शनिधाम में आश्विन कृष्ण पक्ष की षष्ठी को खास आयोजन किया गया। भारतीय परम्परा में श्राद्ध व इस दौरान किए जाने वाले तर्पण, पूजा पाठ, कर्मकाण्ड व दक्षिणा का खास महत्व हैं। ऐसी मान्यता हैं कि पूरे विधि-विधान से किए जाने वाले श्राद्ध के माध्यम से दिवंगत आत्माओं को मोक्ष/शांति मिलती हैं, जिसके तहत वे इस भौतिक लोक से पूरी तरह मुक्ति पा लेते है एवं जिसे लोक में वे प्रस्थान कर चुके हैं वहां वे शांति के साथ रह पाते हैं। भारत के पंजाब प्रांत से ताल्लुक रखने वाली 60 वर्षीय परविन्दर कौर अपनी चौदह वर्ष की उम्र में इंग्लैण्ड चली गई थी। इंग्लैण्ड में नर्स के रूप में सेवाएं देते हुए वही रच बस चुकी परविन्दर का भारतीय परम्पराओं/यहां के आध्यात्म व कर्मकाण्डों में पूरा भरोसा हैं। परविन्दर कौर इन सब चीजों का बखूबी पालन तो करती ही है/इस बार उन्होंने अपने दिवंगत परिजनों (पति-गरमेलसिंह, पुत्र हरप्रीतसिंह एवं पौत्र जगजीतसिंह) का श्राद्ध पूरे विधि-विधान से भारत में मनाने का निश्चय किया, जिसमें इंटरनेट ने उनकी सबसे बड़ी मदद की।

श्री हनुमान-शनिधाम धार्मिक स्थल में खास आस्था
परविन्दर कौर की जोधपुर स्थित श्री हनुमान-शनिधाम धार्मिक स्थल में खास आस्था हैं। यहीं कारण है कि इन्होंने अपने परिजनों का श्राद्ध इस धार्मिक स्थल में प्रायोजित कराया। वर्षों पूर्व अपने परिजनों को खो चुकी परविन्दर इंग्लैण्ड में प्रतिवर्ष अपने तरीके से इनका श्राद्ध मनाती है। परविन्दर कौर की माने तो इंग्लैण्ड में श्राद्ध सहित अन्य भारतीय परम्पराओं/अनुष्ठानों का सही तरीके से संपादित किया जाना असंभव है क्योंकि संदर्भ में तकनीकी जानकारों का वहां अभाव रहता हैं। अपने दिवंगत परिजनों का श्राद्ध पूरे विधि-विधान व भारतीय परम्पराओं से मनाए जाने हेतु परविन्दर ने श्री हनुमान-शनिधाम के संचालक गोपाल जादूगर (जो परविन्दर के मुंह बोले भाई भी हैं) के माध्यम से वृन्दावन के पण्डित दामोदर शर्मा से सम्पर्क किया। गोपाल जादूगर व पण्डित दामोदर शर्मा के सुदृढ़ आश्वासन के बाद ही परविन्दर कौर ने अपने परिजनों का श्राद्ध जोधपुर के श्री हनुमान-शनिधाम प्रांगण में मनाने का निश्चय किया।

पूरी प्रक्रिया फेसबुक लाइव के माध्यम से 
फेसबुक लाइव के माध्यम से संपादित पूरी प्रक्रिया में श्राद्ध से संबद्ध धार्मिक, आध्यात्मिक, कर्मकाण्ड/विधि-विधान का शत प्रतिशत पालन किया गया। श्रद्धा व आस्था को वैचारिक दृष्टि से चरम पर ले जाने वाले रोमांचकारी इस समूचे आयोजन के दौरान इंग्लैण्ड से परविन्दर कौर फेसबुक लाइव के माध्यम से न केवल ऑन लाइन रही, अपितु पण्डित दामोदर शर्मा के निर्देशन में श्राद्ध संबद्ध मंत्रों का उच्चारण कर व्यक्तिश: अपनी कर्मकाण्ड में उपस्थिति को भी सुनिश्चित किया। धार्मिक आयोजन के तहत दिवंगत परिजनों के निमित तर्पण, पिण्डदान व ब्राह्मणों को भोजन कराया गया। गोपाल जादूगर के माध्यम से इंग्लैण्ड की परविन्दर के निमन्त्रण पर श्राद्ध आयोजन के तहत श्री हनुमान-शनिधाम पहुंचे 51 बच्चों ने भोजन ग्रहण किया। ऐसी मान्यता हैं कि पूर्वजों के निमित श्राद्ध में कराए जाने वाले भोजन से दिवंगत परिजनों को तृप्ति मिलती है तथा बदले में उनके आशीर्वाद से परिवार में खुशहाली बनी रहती हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि विदेशों में रह रहे अनगिनत भारतीयों के माध्यम से भविष्य में लोगों को इस प्रकार के और अधिक रोमांचकारी इवेंट देखने को मिलेंगे।

भारतीय परम्पराओं का निर्वहन जरूरी : परविन्दर
इंग्लैण्ड की परविन्दर कौर ने फेसबुक लाइव के माध्यम से भारत में इस धार्मिक आयोजन को लेकर ब्लॉगर से अपनी खास बातचीत में कहा कि इंसान कही भी रहे उसे अपने देश व उसकी परम्पराओं का सम्मान करना चाहिए। परविन्दर की माने तो धार्मिक आस्था, विश्वास व कर्मकाण्डों का अपना महत्व हैं, जीवन की कुशलता के लिए इनका पालन जरूरी है। भारतीय परम्पराओं व धार्मिक मान्यताओं को श्रेष्ठतम बताने वाली परविन्दर स्वयं के इंग्लैण्ड की होकर रह जाने के बावजूद सौ फीसदी इन्हें आत्मसात किए हुए है। ज्ञातव्य रहें, हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बेहद जरूरी माना जाता हैं। मान्यता है कि अगर किसी मृत व्यक्ति का विधिपूर्वक श्राद्ध तर्पण ना किया जाए तो उसे इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती है और वह तथाकथित भूत के रूप में इस संसार में ही रह जाता है। इस बार श्राद्ध 24 सितम्बर को शुरू हुए जो 8 अक्टूबर को खत्म होंगे। धार्मिक मान्यता के अनुसार श्राद्ध के सोलह दिवस विशेष हैं एवं इन दिनों मेें पितृ खुश रहते है। तर्पण में दूध, तिल, कुश, पुष्प व सुगंध मिश्रित जल से पितरों को तृप्त किया जाता है। ब्राह्मणों को भोजन व पिण्डदान से पितरों को भोजन दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध की पत्नी दक्षिणा है। यहीं कारण है कि श्राद्ध का फल दक्षिणा देने पर ही मिलता है।