Thursday 18 July 2019

दांतों की बीमारी को नजरअंदाज करना ठीक नहीं..

घनश्याम डी रामावत
दांत से जुड़ी किसी भी प्रकार की बीमारी को नजरअंदाज नहीं करें, तुरंत चिकित्सक के पास जाएं और इसका इलाज करवाएं। दंत रोग चिकित्सा में बरती गई कोई भी कोताही आगे जाकर सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती हैं। यह कहना हैं जाने माने दन्त रोग चिकित्सक डॉ. तरूण चौधरी का। डॉ. चौधरी के अनुसार मौजूदा दौर में बहुत बड़ी आबादी किसी न किसी रूप में दांतों से जुड़ी समस्या से पीडि़त हैं। इसका मूल कारण दांतों की सही से देखभाल नहीं किया जाना हैं।  

संक्रमण के कारण गंभीर बीमारियों का जन्म
जोधपुर स्थित मण्डोर सेटेलाइट हॉस्पिटल के दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. तरूण चौधरी के अनुसार दांत से जुड़ी बीमारियों में मुख्य रूप से दांतों में सडऩ, कीड़े लगना, पायरिया, दांतों का गलना, दांतों का टेढ़ा-मेढ़ा होना व मसूड़े खराब हो जाना हैं। डॉ. चौधरी के अनुसार इसके अलावा भी दांत से संबंधित अनेक छोटे-बड़े मर्ज है जिनमें बरती गई लापरवाही आगे जाकर संक्रमण का रूप तो लेती ही है, सेहत को गंभीर संकट में डाल देती हैं। पायरिया रोग के बारे में बताते हुए डॉ. चौधरी ने कहा कि दांत से जुड़ी इस बीमारी में मरीज के दांत ढ़ीले होकर हिलने लग जाते हैं। मसूड़ों से मवाद और रक्त निकलने लगता हैं। दांतों पर पपडिय़ां जम जाती हैं और मुंह से दुर्गंध आने लगती हैं। समय पर चिकित्सा के अभाव में मरीज के दांत कमजोर होकर गिरने लगते हैं।

डॉ. चौधरी की माने तो पायरियां सहित दांत से जुड़ी तकरीबन सभी बीमारियों की मुख्य वजह दांतों की ठीक से देखभाल नहीं करना, अनियमित ढ़ंग से कुछ न कुछ खाते रहना, भोजन का ठीक से नहीं पचना, लीवर में खराबी के कारण रक्त में अम्लता का बढ़ जाना, मांसाहार व अन्य गरिष्ठ भोज्य पदार्थों का सेवन, पान गुटखा व तम्बाकू का अत्यधिक मात्रा में सेवन, नाक की बजाय मुंह से श्वास लेना, भोजन को ठीक से चबाकर नहीं खाना, अजीर्ण व कब्ज आदि हैं। उन्होंने बताया कि शरीर की अन्य बीमारियों की तरह ही दांत से ताल्लुक रखने वाली प्रत्येक छोटी से छोटी बीमारी भी बेहद गंभीर हैं। इसमें लापरवाही बरते जाने पर यह आगे जाकर संक्रमण का रूप अख्तियार कर लेती है जो आगे जाकर शरीर में नई गंभीर बीमारियों को जन्म देती हैं। दांतों का संक्रमण आगे जाकर बॉडी में ब्लड प्रेशर को तो प्रभावित करता हैं, कई मर्तबा इंसान के लिए मधुमेह जैसी लाइफ स्टाइल डिजीज का कारण भी बन जाता हैं। 

संक्रमण से बनता हैं स्ट्रेप्टोकॉकस बैक्टीरिया
दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. तरूण चौधरी के अनुसार दांतों के संक्रमण की वजह से ही गर्भवती महिलाओं के अलावा उनके होने वाले बच्चों को भी अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। डॉ. चौधरी के अनुसार उत्तम स्वास्थ्य हेतु समय पर जांच, उचित परामर्श व चिकित्सा आज की प्राथमिक आवश्यकता हैं, इसे हर व्यक्ति को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि दांतों और मसूड़ों की हैल्थ सही अर्थात इनका ठीक होना जरूरी हैं। अगर दांतों और मसूड़ों में संक्रमण हैं तो मुंह में पैदा हुए बैक्टीरिया पानी व भोजन के साथ अन्य अंगों तक पहुंच सकते हैं। मुंह में संक्रमण होने पर स्ट्रेप्टोकॉकस बैक्टीरिया बनता हैं जो शरीर में दाखिल होते ही रक्त वाहिनियों में ब्लड सैल प्लॉक (दांतों पर जमी पपड़ी) बनाता हैं, इससे रक्त वाहिनियों का रास्ता अवरुद्ध होने लगता हैं। इसकी वजह से ब्लड प्रैशर बढऩा शुरू हो जाता है। आगे चलकर इसके कारण ही स्ट्रोक व हार्ट फेलियर के साथ-साथ गुर्दों आदि से जुड़े रोग मधुमेह का खतरा उत्पन्न होने लगता हैं। 

डॉ. चौधरी के अनुसार गर्भवती महिलाओं में ऐसी स्थिति में बच्चा समय से पहले या कम वजन का पैदा हो सकता हैं। अगर यही प्लॉक मस्तिष्क तक पहुंच जाए तो मैमोरी सैलों को नुक्सान हो सकता हैं और अल्जाइमर की बीमारी घेर सकती हैं। डॉ. तरूण के अनुसार सिगरेट, बीड़ी के साथ शराब का सेवन और तंबाकू या अन्य पान मसाले खाने वालों को तो अक्सर दांतों का संक्रमण होता ही रहता हैं। धूम्रपान या तंबाकू से ओरल कैंसर के काफी मामले सामने आते हैं। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों पर नजऱ डालें तो भारत में यह सबसे अधिक हैं। मुंह में अगर सफेद दाग से हो गए हैं या अल्सर होते रहते हैं तो यह स्थिति घातक साबित हो सकती हैं। डॉ. चौधरी के अनुसार यह स्थिति एक तरह से ओरल कैंसर का संकेत भी मानी जा सकती हैं। समय पर अगर ओरल कैंसर पकड़ में आ गया तो कम दिक्कत पेश आती हैं, लेकिन अगर कैंसर की स्टेज आगे बढ़ गई तो स्थिति विकट हो सकती हैं। 

स्वास्थ्य कार्यक्रमों को गंभीरता से ले नागरिक
दन्त रोग चिकित्सक के अनुसार कैंसर के मरीजों में रेडियोथेरेपी या कीमोथैरेपी की जाती हैं जिससे मुंह में लार कम बनें। उनके अनुसार स्वास्थ्य विभाग की ओर से ओरल हैल्थ के प्रति जागरूक करने के लिए समय-समय पर राष्ट्रीय मुख स्वास्थ्य कार्यक्रम, विद्यालयों में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम सहित अनेक जनकल्याणकारी आयोजन व सेमिनार वगैरा आयोजित किए जाते रहते हैं। नागरिकों को चाहिए कि वे इन्हें गंभीरता से लें। मण्डोर सेटेलाइट हॉस्पिटल में सेवारत्त डॉ. तरूण चौधरी के अनुसार प्लॉक कंट्रोल करने के लिए दांतों में बैक्टीरिया की लेयर लगाई जाती हैं। एसिडिक तत्व वाले खाद्य पदार्थों जैसे ठंडे पेय पदार्थ, मिठाई या चॉकलेट आदि से मुंह की पी.एच. वैल्यू कम हो जाती हैं, जिसे फिर से सही होने में काफी वक्त लग जाता हैं। डॉ. चौधरी के अनुसार दांतों की बेहतरी के लिए कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन जितना कम हो बेहतर हैं। अगर मिठाई या चॉकलेट खानी भी हैं तो खाने के साथ एक बार ही खा लेनी चाहिए। बार-बार दिन में मीठा नहीं खाना चाहिए।

मुंह में संक्रमण न हो इसके लिए फ्लोराइड युक्त पेस्ट का इस्तेमाल करें। भोजन के बाद दांतों व मुंह की अच्छे से सफाई जरूरी हैं। दांत शरीर के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं इनकी बेहतरी के लिए चिकित्सक से नियमित चैकअप करवाते रहना चाहिए। डॉ. चौधरी के अनुसार दांतों का सीधा संबंध हमारे दिलो-दिमाग से है। ऐसे में दांतों की सेहत का सही से ख्याल रखकर हम अन्य कई बीमारियों पर विराम लगा सकते है।