Saturday 12 October 2019

शरद पूर्णिमा का धार्मिक व आयुर्वेदिक दृष्टि से खास महत्व

घनश्याम डी रामावत
अश्विनी मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता हैं। इस बार यह तिथि 13 अक्टूबर अर्थात कल रविवार को हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता हैं। इस बार शुभ योग में चंद्रमा और मंगल के दृष्टि संबंध होने की वजह से महालक्ष्मी योग बन रहा हैं। अश्विनी मास की पूर्णिमा अर्थात शरद पूर्णिमा की रात में लक्ष्मी पूजन करके रात्रि जागरण करना धन समृद्धि दायक माना गया हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा का सीधा संबंध भगवान श्रीकृष्ण एवं माता लक्ष्मी से हैं। इस दिन व्रत रखे जाने का भी विधान हैं।

सूर्यनगरी जोधपुर स्थित व्यास ज्योतिष कार्यालय के निदेशक पण्डित सोहनलाल व्यास के अनुसार इस बार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत बरसाएगा। पण्डित व्यास की माने तो चंद्रमा साल भर में शरद पूर्णिमा की तिथि को ही अपनी षोडश कलाओं को धारण करता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर महालक्ष्मी, गणेश की पूजा-अर्चना करेंगी तो उन्हें अत्यधिक लाभ मिलेगा। पण्डित सोहनलाल जी व्यास से उनके 54, दिलीप नगर (लालसागर) स्थित ज्योतिष कार्यालय पर हुई संक्षिप्त परिचर्चा में शरद पूर्णिमा एवं इसके धार्मिक/आध्यात्मिक महत्व को लेकर खासी जानकारी हासिल हुई। पण्डित व्यास के अनुसार इस दिन पूरा चंद्रमा दिखाई देने के कारण इसे महापूर्णिमा भी कहा गया है। महिलाएं रात्रि के समय माता लक्ष्मी, चंद्रमा और देवराज इंद्र की पूजा करेंगी। पण्डित व्यास के अनुसार कल 13 अक्टूबर/रविवार की रात पूर्णिमा तिथि मध्य रात्रि 12.36 से प्रारंभ हो जाएगी, जो कि 14 अक्टूबर को रात 2.38 बजे तक रहेगी।

16 कलाओं से युक्त रहता हैं नक्षत्रों का स्वामी
राजस्थान सरकार के सिंचाई एवं पंचायती राज विभाग से सेवानिवृत होने के बाद ज्योतिषविद् के तौर पर समाज को अपनी सेवा देने वाले पं. सोहनलाल व्यास के अनुसार चंद्रमा तारामण्डल में स्थापित 27 नक्षत्रों (अश्विनी, भारिणी, कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आद्र्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्व फाल्गुनी, उतरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उतराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उतरा भाद्रपद एवं रेवती) का स्वामी हैं। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त रहता हैं एवं यह धरती के निकट होकर गुजरता है। इसी दिन से शीत ऋ तु की शुरूआत मानी जाती है। इस दिन लक्ष्मी जी की साधना करने से आर्थिक और व्यापारिक लाभ मिलता है। पण्डित जी की माने तो शरद पूर्णिमा की रात्रि चंद्रमा पूर्ण कलाओं के साथ उदित होकर अमृत वर्षा करता हैं। ऐसे में इसका धार्मिक/आध्यात्मिक के साथ आयुर्वेदिक दृष्टि से भी खास महत्व हैं। 

औषधीय गुण आ जाने से 'खीर' लाभकारी
शरद पूर्णिमा की रात सोलह कलाओं से पूर्ण चंद्रमा से अमृतमयी धारा बहती है। इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन खीर को खुले में रखने से ओस के कण के रूप में अमृत की बूंदें खीर के पात्र में भी गिरती है जिसके फलस्वरूप यहीं खीर अमृत तुल्य हो जाती हैं, जिसको प्रसाद रूप में ग्रहण करने से प्राणी आरोग्य एवं कांतिवान रहता हैं। औषधीय गुण आ जाने से यह खीर शरीर के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कार्य करती है जिसे रामबाण औषधि का दर्जा भी दिया गया है। पण्डित व्यास के अनुसार जिन लोगों की जन्म-पत्रिका में चंद्रमा से संबंधित कोई समस्या है या चंद्रमा क्षीण है, उन लोगों को भी शरद पूर्णिमा के दिन भगवान शिव व कार्तिकेय की पूजा कर रात्रि में चंद्रदेव को जल व कच्चे दूध से अर्ध्य देना चाहिए।

महत्व: माता लक्ष्मी करती हैं घर में प्रवेश
पण्डित सोहनलाल व्यास के अनुसार शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य तुला राशि में नीचे होकर मेष राशि में स्थित चंद्रमा पर पूर्ण दृष्टि डालता है। इससे चंद्रमा को अधिक शक्ति मिलती है। चंद्र की शक्ति से मनुष्य को स्वास्थ्य लाभ होता है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी रात्रि में विचरण करती है और भक्तों पर धन-धान्य से पूर्ण करती है। इस दिन रात भर जाग कर मां लक्ष्मी के भजन करने चाहिए। मां लक्ष्मी इस दिन रात में जगने और अपनी आराधना करने वालों को धन और वैभव का आशीर्वाद देती हैं। इसलिए इसे कोजागिरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन व्रत रखने का भी विधान हैं। एक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण शरद पूर्णिमा की रात हर गोपी के लिए कृष्ण बने थे व उनके साथ नृत्य किया था जिसे महारास के नाम से जाना जाता हैं। 

इस महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने कामदेव की सुंदरता का घमण्ड तोड़ा था। इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन अपने विचारों को दूषित होने से बचाना चाहिए। मन में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उधान लेन-देन से बचना चाहिए। इस दिन खरीदारी तथा नये कार्य शुरू किए जा सकते है।