Tuesday 17 August 2021

रक्षा बंधन 2021: इस बार 3 शुभ योगों में बंधेगा रक्षा सूत्र

 घनश्याम डी रामावत

भारतीय अध्यात्म ने समाज के प्रत्येक वर्ग के सम्बन्धों को सुरक्षित रखने के लिए बहुत से अवसर और उपाय दिए हैं। इन्ही में से एक हैं ‘रक्षा बंधन’ पर्व। रविवार 22 तारीख को श्रावण मास की पूर्णिमा हैं। इसी दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। जोधपुर के जाने माने ज्योतिषविद्/लाल किताब विशेषज्ञ नरेन्द्रसिंह राठौड़ के अनुसार 22 अगस्त 2021 पूर्णिमा के दिन प्रात:कालीन शोभन, मातंग और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा का यह पर्व एक बहुत ही शुभ योग बन गया हैं। इस बार शुभ मुहूर्त प्रात: 05.50 बजे से शाम 06.03 बजे तक और दोपहर में 01.44 बजे से शाम 04.23 बजे तक हैं। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.04 बजे से 12.58 बजे तक हैं। ब्रह्म मुहूर्त 04.33 बजे से शाम 05.21 बजे तक हैं। इस बार रक्षा बंधन हेतु कुल समयावधि 12 घंटे 11 मिनट हैं।

ज्योतिष संस्थान प्रिंस एस्ट्रो लाइन के निदेशक नरेन्द्रसिंह राठौड़़ के अनुसार 22 तारीख को इस बार भद्रा का साया नही हैं इसलिए पूरे दिन रक्षा सूत्र बांधा जा सकेगा। राठौड़ के अनुसार पद्म पुराण में कई कथाएं इस पर्व से जुड़ी हैं। एक कथा विष्णु भगवान के वामन अवतार और राजा बली की भी हैं। इस कथा में वर्णन हैं कि इस अवतार में भगवान विष्णु राजा बली की कर्तव्यपरायणता से प्रसन्न होकर स्वेच्छा से उनके द्वारपाल बनकर पाताल लोक चले जाते हैं। तब मां लक्ष्मी राजा बली को श्रावण पूर्णिमा को भाई के रूप में रक्षा सूत्र बांधती हैं और अपने पति विष्णु को वापस लेकर आ जाती हैं। शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई, तो द्रौपदी ने रक्त रोकने के लिए साड़ी फाडक़र उनकी उंगली पर बांध दी थी। यह भी श्रावण मास की पूर्णिमा थी।  

भाई को पूर्व दिशा में मुख करके बैठाएं
रक्षा बंधन के दिन पूजा के दौरान भाई को पूर्व दिशा में मुख करके बैठाएं तथा बहिन पश्चिम की ओर मुख कर, जल शुद्धि करके भाई को रोली और अक्षत का तिलक लगा कर इस विशेष मंत्र का उच्चारण करते हुए रक्षा सूत्र बांधें, ‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल:।।’ इसके बाद भाई की आरती उतार कर मिष्ठान्न खिलाएं। इस दिन सभी ज्ञानवान और आदरणीय जनों को रक्षा सूत्र बांधा जा सकता हैं। छोटे बच्चों के लिए रक्षा बंधन का दिवस विद्यारम्भ का दिन भी माना जाता हैं।

इस वर्ष भद्रा का साया रक्षा बंधन पर नहीं
ज्योतिषविद् नरेन्द्रसिंह राठौड़़ के अनुसार भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ होता हैं। खुशी की बात यह हैं कि इस बार भद्रा का साया राखी पर नहीं हैं। भद्रा काल 23 अगस्त 2021 को प्रात: 05.34 बजे से 06.12 बजे तक हैं। इसलिए 22 अगस्त को पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी। उनके अनुसार राहुकाल और भद्रा के समय शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भी भद्रा में राखी न बांधने/बंधवाने की पीछे कारण हैं कि लंकापति रावण ने अपनी बहन से भद्रा में राखी बंधवाई और एक साल के अंदर उसका विनाश हो गया। इसलिए इस समय को छोडक़र ही बहनें अपने भाई के राखी बांधती हैं। वहीं यह मान्यता भी हैं कि भद्रा भगवान श्री शनि महाराज की बहन हैं एवं उन्हें ब्रह्मा जी ने शाप दिया था कि जो भी व्यक्ति भद्रा में शुभ काम करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा। रक्षा बंधन के दिन क्रोध, अहंकार और विवाद की स्थिति से बचना चाहिए। इसके साथ कोई ऐसा कार्य न करें जिससे लोगों को पीड़ा पहुंचे और सार्वजनिक जीवन में निर्धारित नियमों के विरूद्ध हो। इस पर्व को हर्षोल्लास और पूरी आस्था व श्रद्धा के साथ मानना चाहिए।

इस बार राखी बांधने का सही मुहूर्त
प्रात: 05.50 बजे से शाम 06.03 बजे तक और दोपहर में 01.44 बजे से शाम 04.23 बजे तक शुभ मूहूर्त हैं। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.04 बजे से 12.58 बजे तक हैं। ब्रह्म मुहूर्त 04.33 बजे से शाम 05.21 बजे तक हैं। इस बार रक्षा बंधन हेतु कुल समयावधि 12 घंटे 11 मिनट हैं। ज्योतिषविद् नरेन्द्रसिंह राठौड़ की माने तो भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता हैं। प्रसन्नता की बात हैं कि इस बार भद्रा काल 23 अगस्त 2021 को प्रात: 05.34 बजे से 06.12 बजे तक हैं अर्थात राखी के दिन नहीं हैं। इस बार रक्षा बंधन के दिन चंद्रमा मंगल के नक्षत्र और कुंभ राशि पर संचार करेंगे।

No comments:

Post a Comment